ग्वारीघाट (Gwarighat) जबलपुर – नर्मदा तट का अद्भुत धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल
परिचय
ग्वारीघाट (Gwarighat) मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित नर्मदा नदी का एक प्रसिद्ध घाट है। यह स्थान अपनी धार्मिक आस्था, प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के कारण दूर-दूर तक मशहूर है। ग्वारीघाट सिर्फ एक नदी तट नहीं, बल्कि यहाँ हर रोज़ हजारों श्रद्धालु नर्मदा मैया की पूजा-अर्चना, स्नान और आरती करने आते हैं।
ग्वारीघाट का वातावरण सुबह और शाम दोनों समय अद्भुत रहता है। खासकर नर्मदा आरती का दृश्य (ग्वारीघाट का सीन) हर किसी को आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
ग्वारीघाट (Gwarighat) का सौंदर्य
गौरी घाट जबलपुर का एक अत्यंत पवित्र और रमणीय स्थल है, जो माँ नर्मदा के तट पर स्थित है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और शांत वातावरण इसे एक अद्भुत जगह बनाते हैं।
- नदी का सौंदर्य – नर्मदा नदी का शांत और निर्मल प्रवाह गौरी घाट से बहते हुए मन को सुकून देता है। पानी की लहरों और ठंडी हवा का अनुभव यहाँ की खूबसूरती को और बढ़ा देता है।
- आध्यात्मिक वातावरण – घाट पर सुबह और शाम की नर्मदा आरती दिव्य दृश्य प्रस्तुत करती है। दीपदान के समय जल में तैरते दीपक घाट को स्वर्ग जैसा दृश्य प्रदान करते हैं।
- प्राकृतिक नज़ारा – घाट के चारों ओर फैली हरियाली, दूर-दूर तक फैली नदी और घाट पर होती धार्मिक गतिविधियाँ यहाँ के वातावरण को और आकर्षक बनाती हैं।
- धार्मिक महत्व – यहाँ स्नान करने और पूजा-अर्चना करने से मन की शांति मिलती है। साधु-संतों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति घाट को जीवंत और आध्यात्मिक बना देती है।
- सांस्कृतिक छटा – त्योहारों और मेलों के समय गौरी घाट का सौंदर्य अपने चरम पर होता है। रंग-बिरंगे दीपक, झाँकियाँ और श्रद्धालुओं की भीड़ एक भव्य दृश्य प्रस्तुत करती है।
कुल मिलाकर, गौरी घाट सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम है।
गौरीघाट के घाट
गौरी घाट में बहुत सारे घाट हैं, जिनके अलग-अलग महत्व है। आईए जानते हैं – गौरी घाट के घाटों के बारे में
जिलहरी घाट
जिलहरी घाट जबलपुर शहर में नर्मदा नदी पर स्थित ग्वारीघाट के बिलकुल पास बना हुआ एक घाट है। यह घाट साफ-सुथरा और सुंदर है।
इस घाट पर आप अपनी बाइक और कार से आ सकते हैं। यहां पर पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है। यहाँ दोपहिया और चारपहिया वाहनों की पार्किंग की सुविधा न्यूनतम शुल्क पर उपलब्ध है। यहां पर बड़ा सा शिव मंदिर बना हुआ है।
इस घाट पर सुबह के समय तैराकी की सुविधा उपलब्ध है। यहां पर ट्रेनर के द्वारा तैराकी की कराई जाती है। यहां पर आप नाव की सवारी का आनंद ले सकते हैं। यह जबलपुर में परिवार के साथ समय बिताने के लिए एक बढ़िया जगह है।
सिध्द घाट ग्वारीघाट
सिध्द घाट ग्वारीघाट (Gwarighat) का एक सुंदर घाट है। यह गौरी घाट का सबसे पुराना घाट है। यहां पर आप आकर मां नर्मदा के दर्शन कर सकते हैं, पूजा कर सकते हैं, शांति से बैठ सकते हैं।
यहां पर पवित्र गंगा कुंड है, जिसका पानी आप पी सकते हैं। यहां पर ढेर सारे साधु संत साधना करते हैं। यह जगह बहुत सुंदर है।
उमाघाट
उमाघाट ग्वारीघाट (Gwarighat) के प्रसिद्ध घाटों में से एक है। उमा घाट में रोज शाम के समय नर्मदा नदी की आरती की जाती है। यहां पर बहुत सारे लोग आते हैं और आरती में शामिल होते हैं। यहां पर आप बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं।
यहां पर ढेर सारे नाविक मिलते हैं, जो बोट राइड के लिए पर्यटक से पूछते हैं। आप यहां पर जाकर शांति से बैठ सकते हैं।
दरोगा घाट
दरोगा घाट गौरी घाट से थोड़ा आगे स्थित है। यहां पर अपनी बाइक से आसानी से पहुंच सकते हैं। यह घाट तैराकी करने वालों के लिए एक पसंदीदा जगह है।
यहां पर आकर आप तैराकी का आनंद उठा सकते हैं। यहां पर बहुत सारे लोग तैराकी करते हैं। यहां पर कई छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं, जो बहुत सुंदर है।
यहां पर शिव मंदिर, माता पार्वती जी का मंदिर, नर्मदा मंदिर, हनुमान मंदिर बने हुए हैं। यहां पर नाव की सवारी भी की जाती है।
यहां पर बड़े-बड़े वाहन को नाव में रखकर एक ओर से दूसरे ओर ले जाया जाता है, इसलिए इस जगह को दरोगा घाट के नाम से जाना जाता है।
खरीघाट
खरीघाट गौरी घाट के पास स्थित एक विशेष घाट है। खरीघाट में मरे हुए लोगों की अस्थियों की राख को विसर्जित किया जाता है। यहां पर मृत लोगों का अंतिम पाठ किया जाता है और उसके बाद नर्मदा नदी में अस्थियों का विसर्जन किया जाता है।
ग्वारीघाट का नर्मदा मंदिर
नर्मदा मंदिर ग्वारीघाट (Gwarighat) का एक पवित्र और सुन्दर स्थल है। यह मंदिर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है और माँ नर्मदा को समर्पित है। यहाँ भक्तजन दूर-दूर से आकर माँ नर्मदा के दर्शन करते हैं और नदी में स्नान कर अपने जीवन को पवित्र मानते हैं। मंदिर का वातावरण बेहद शांत और आध्यात्मिक है।
इस मंदिर की खासियत यह है कि यह नर्मदा नदी के बीचों-बीच स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए नाव से जाना पड़ता है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक अलग ही अनुभव देता है। यहाँ से पूरे ग्वारीघाट (Gwarighat) का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। शाम के समय होने वाली नर्मदा आरती इस स्थान की भव्यता को और बढ़ा देती है। दीपदान और भजन-कीर्तन के बीच यहाँ का वातावरण दिव्य हो उठता है।
नर्मदा मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति का अनोखा संगम भी प्रस्तुत करता है। यहाँ आकर व्यक्ति को मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त होती है।
ग्वारीघाट का सीन (Gwarighat Scene)
ग्वारीघाट का नजारा सुबह और शाम दोनों ही समय देखने लायक होता है।
- सुबह के समय श्रद्धालु स्नान और पूजा-पाठ करते हुए दिखाई देते हैं।
- शाम को जब नर्मदा आरती होती है, तो पूरा घाट दीपों की रोशनी और मंत्रोच्चार से गूंज उठता है।
- ग्वारीघाट का यह दृश्य पर्यटकों और भक्तों दोनों को आध्यात्मिक अनुभव कराता है।
विशेषकर नर्मदा आरती का सीन यहाँ की पहचान है। दर्जनों पंडित एक साथ आरती करते हैं, जिसमें शंख-घंटी की ध्वनि और नदी पर लहराती दीपों की रोशनी अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती है।
फोटो गैलरी






ग्वारीघाट का स्थान और दूरी (Gwarighat Location and Distance)
- ग्वारीघाट, जबलपुर शहर के केंद्र से लगभग 5–6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- यह स्थान सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- ऑटो, टैक्सी और लोकल बस से यात्री आराम से घाट तक पहुँचते हैं।
जबलपुर से ग्वारीघाट की दूरी (Jabalpur to Gwarighat Distance):
- रेलवे स्टेशन से दूरी: लगभग 7 किमी
- बस स्टैंड से दूरी: लगभग 8 किमी
- एयरपोर्ट (Dumna Airport) से दूरी: करीब 25 किमी
ग्वारीघाट का इतिहास
ग्वारीघाट (Gwarighat) का संबंध बहुत पुराने समय से जुड़ा है। यह स्थान नर्मदा नदी की धार्मिक मान्यताओं से गहराई से जुड़ा है।
- प्राचीन मान्यता है कि यहाँ नर्मदा जी का पूजन करने से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं।
- ऐतिहासिक रूप से ग्वारीघाट हमेशा से संतों, साधुओं और श्रद्धालुओं का केंद्र रहा है।
- यहाँ समय-समय पर धार्मिक मेले, संतों का प्रवचन और आध्यात्मिक आयोजन होते रहते हैं।
ग्वारीघाट का मेला और कुंभ मेला
ग्वारीघाट (Gwarighat) पर समय-समय पर बड़े मेले आयोजित होते हैं।
- मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा और नर्मदा जयंती पर विशेष भीड़ रहती है।
- ग्वारीघाट का मेला (Gwarighat ka Mela) दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र होता है।
- यहाँ नर्मदा स्नान, धार्मिक अनुष्ठान और साधु-संतों के प्रवचन मेले की खास पहचान हैं।
ग्वारीघाट कुंभ मेला (Gwarighat Kumbh Mela)
ग्वारीघाट पर कुंभ मेला भी आयोजित होता है, जो लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
- इस दौरान घाट पर भव्य स्नान, साधु-संतों का जमावड़ा और अद्भुत धार्मिक माहौल बनता है।
- कुंभ मेले के समय ग्वारीघाट का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि नर्मदा तट पर यह स्थान सबसे प्रमुख आस्था स्थलों में से एक है।
गौरी घाट का गऊ कुंभ मेला
गौरी घाट में गऊ कुंभ मेला लगा था, जिसमें दूर-दूर से पर्यटक आए थे और इस मेले का भव्य आयोजन हुआ था। इस मेले में तरह-तरह के झूले, तरह-तरह के सामानों की दुकान लगाई गई थी। यहां पर महापुराण का पाठ भी कराया जा रहा था। यहां पर ढेर सारे नागा साधु आए थे। यह मेला कई वर्षों के बाद लगा था। यह मेला बहुत ही अच्छे तरीके से मैनेज किया गया था।
ग्वारीघाट पर होने वाली गतिविधियाँ
ग्वारीघाट (Gwarighat) पर भक्त और पर्यटक दोनों ही कई तरह की गतिविधियों का आनंद लेते हैं:
- नर्मदा स्नान – धार्मिक शुद्धि और आस्था का प्रतीक।
- नौका विहार (Boating) – नदी के बीच से घाट और मंदिरों का सुंदर नजारा।
- नर्मदा आरती में शामिल होना – आध्यात्मिक शांति का अद्भुत अनुभव।
- धार्मिक प्रवचन और कथा सुनना – घाट पर अक्सर संतों के प्रवचन होते हैं।
- भंडारा – गौरी घाट में आप जब भी जाते हैं। आपको भंडारा जरूर खाने के लिए मिलता है। भंडारे में आपको पूरी सब्जी और खिचड़ी प्रसाद खाने के लिए मिलते हैं।
ग्वारीघाट तक कैसे पहुँचें?
- रेल से: जबलपुर रेलवे स्टेशन से 7 किमी। ऑटो/टैक्सी आसानी से उपलब्ध।
- बस से: लोकल बस और ऑटो से घाट तक पहुँचना आसान।
- एयर से: डुमना एयरपोर्ट से लगभग 25 किमी दूरी।
ग्वारीघाट का गूगल मैप लोकेशन
ग्वारीघाट घूमने का सबसे अच्छा समय
- सुबह: सूर्योदय के समय नर्मदा स्नान और शांत वातावरण।
- शाम: सूर्यास्त और नर्मदा आरती का समय सबसे खास होता है।
- त्योहार: महाशिवरात्रि, मकर संक्रांति और कार्तिक पूर्णिमा के मेले में यहाँ की रौनक देखते ही बनती है।
ग्वारीघाट पर सावधानियाँ
- स्नान करते समय नदी की गहराई का ध्यान रखें।
- बच्चों पर विशेष ध्यान दें।
- धार्मिक स्थलों पर अनुशासन और पवित्रता बनाए रखें।
- भीड़भाड़ वाले मेले के समय अपने सामान की सुरक्षा रखें।
- छोटे बच्चे को पैसे ना दे, आप चाहे तो उन्हें कुछ खाने के लिए दे सकते हैं।
- ग्वारीघाट में जाकर आप कचरा न फैलाएं। कचरे को डस्टबिन में डालें।
निष्कर्ष
ग्वारीघाट जबलपुर (Gwarighat Jabalpur) सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि आस्था, इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम है। यहाँ का मंदिर, घाट का दृश्य, नर्मदा आरती और ऐतिहासिक महत्व इसे एक अनोखा पर्यटन और धार्मिक केंद्र बनाता है।
चाहे आप श्रद्धालु हों या पर्यटक, ग्वारीघाट (Gwarighat) आपको हर बार एक नया अनुभव और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
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