विदिशा जिले के प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थलों की जानकारी और विदिशा यात्रा गाइड
Vidisha Tourist Places in Hindi : मध्य प्रदेश का विदिशा शहर ऐतिहासिक स्थलों का खजाना है। इस शहर में और इस शहर के आसपास ढेर सारे ऐतिहासिक स्थान हैं, जिनका अत्यधिक महत्व है। आप यहां पर जाकर घूम सकते हैं और इन जगहों की हिस्ट्री के बारे में जान सकते हैं। विदिशा जिला भोपाल से 60 किलोमीटर दूर है। यहाँ गुप्तकालीन स्थापत्य, बौद्ध स्तूप, प्राचीन शिवालय और प्राकृतिक घाटियाँ देखने को मिलती हैं।
विदिशा को प्राचीन काल में “भेलसा” या “बेसनगर” के नाम से जाना जाता था। गुप्तकाल और शुंग वंश के समय यह क्षेत्र विद्या, कला और स्थापत्य का प्रमुख केंद्र था। आज भी यहाँ की ऐतिहासिक इमारतें और मंदिर उस युग की गौरवशाली सभ्यता के प्रतीक हैं।
विदिशा जिले का इतिहास (History of Vidisha District)
विदिशा जिला (मध्यप्रदेश) का इतिहास बहुत प्राचीन और गौरवशाली रहा है। यह जगह गुप्तकालीन, शुंगकालीन और मौर्यकालीन सभ्यता की गवाह रही है।
विदिशा का प्राचीन इतिहास का उल्लेख वेद और पुराणों में किया गया है। वेद और पुराणों के अनुसार – विदिशा का नाम प्राचीन ग्रंथों में “भेलसा” और “बैसनगर” के रूप में मिलता है। स्कन्द पुराण और ब्रह्म पुराण में विदिशा का उल्लेख मिलता है। यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा है।
सम्राट अशोक विदिशा जिले में आए थे। यहीं उनकी शादी देवी (एक व्यापारी की पुत्री) से हुई थी, जिनसे उनके पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा का जन्म हुआ। महेंद्र और संघमित्रा को बाद में बौद्ध धर्म प्रचार हेतु श्रीलंका भेजा गया। मौर्य साम्राज्य के बाद विदिशा पर शुंग वंश का शासन हुआ। शुंगकाल में विदिशा शिक्षा, कला और संस्कृति का केंद्र बनी।
मध्यकाल से आधुनिक काल तक विदिशा पर मुगलों और मराठों का आधिपत्य रहा।ब्रिटिश शासन में इसे भेलसा कहा जाता था और यह व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र रहा। आज़ादी के बाद विदिशा जिला 1956 में नए मध्यप्रदेश राज्य का हिस्सा बना।
विदिशा में घूमने की जगह – Vidisha Tourist Places in Hindi
विदिशा जिले में और विदिशा जिले के आसपास ढेर सारी पर्यटन स्थल है, जहां पर जाकर आप अच्छा और शांतिपूर्ण समय बिता सकते हैं। विदिशा जिले के आसपास प्राचीन महल, मंदिर, गुफाएं, प्राकृतिक स्थल और डैम देखने के लिए मिलते हैं। आप यहां पर जाकर अच्छा और शांतिपूर्ण समय बिता सकते हैं।
तो चलिए जानते हैं – विदिशा जिले के आसपास घूमने के लिए कौन-कौन से दर्शनीय स्थान है, जहां पर आप जा सकते हैं।
विदिशा जिले का फेमस पार्क (Famous park in Vidisha district)
माधव उद्यान विदिशा (Madhav Udyan, Vidisha)
माधव उद्यान विदिशा जिले के मध्य में घूमने के लिए एक सुंदर और आकर्षक स्थान हैं। यह उद्यान विदिशा जिले के रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के बहुत करीब है। आप यहां पर आसानी से घूमने के लिए आ सकते हैं। इस पार्क के बाहर बहुत बड़ी पार्किंग मिलती है, जहां पर आप अपनी गाड़ी कर सकते हैं। यह पार्क बहुत बड़े एरिया में फैला हुआ है। इस पार्क के मध्य में एक बहुत बड़ी झील बनी हुई है। झील के चारों तरफ गलियारा बना हुआ है, जहां पर आप घूम सकते हैं।
माधव उद्यान की खासियत
- यहां चारों तरफ पेड़ पौधे लगे हुए हैं, जिससे यह उद्यान और भी आकर्षक लगता है। यहां पर आकर आप अच्छा समय बिता सकते हैं।
- यहां पर सुबह एवं शाम के समय घूमने के लिए ढेर सारे लोग आते हैं। यह मॉर्निंग वॉक और इवनिंग वॉक के लिए एक अच्छी जगह है।
- इस उद्यान में बदक देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर बदक रखे गए हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं।
- यहां पर एक्सरसाइज करने के लिए यंत्र लगे हुए हैं।
- यहां पर बहुत सारे सेल्फी प्वाइंट बने हुए हैं, जहां पर आप सेल्फी क्लिक कर सकते हैं। यह उद्यान विदिशा में घूमने लायक प्रमुख स्थानों में से एक है।
विदिशा जिले के प्रसिद्ध मंदिर और तीर्थ स्थान (Famous Temples in Vidisha District)
चरन तीर्थ विदिशा (Charan Teerth Vidisha)
चरण तीर्थ विदिशा जिले में घूमने के लिए एक सुंदर जगह में से एक है। चरण तीर्थ विदिशा में बेतवा नदी के पास अशोकनगर विदिशा हाईवे मार्ग पर स्थित है। यहां पर आप आसानी से पहुंच सकते हैं। चरण तीर्थ विदिशा में बेतवा नदी के बीच में एक टापू में एक धार्मिक स्थान है। यहां पर भगवान शिव का मंदिर बना है। यहां पर दो मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों में जाने के लिए पुल बना हुआ है।
यह मंदिर बहुत ही खूबसूरती से बना है। यह मंदिर काफी ऊंचाई पर बना हुआ है। मंदिर में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते थे। चरण तीर्थ का धार्मिक महत्व है। यहां पर भगवान श्री राम जी अपने वनवास काल के दौरान आए थे। इस जगह पर भगवान श्री राम जी के चरण पड़े थे। इसलिए इस जगह को चरण तीर्थ के नाम से जाना जाता है।
चरण तीर्थ की खासियत
- चरण तीर्थ बेतवा नदी के बीच में बना हुआ है। यहां पर जाकर अच्छा लगता है और यहां पर जाकर आप अच्छा और शांतिपूर्ण समय बिता सकते हैं।
- यहां पर बेतवा नदी का दृश्य बहुत ही आकर्षण रहता है।
- चरण तीर्थ में घाट भी बना हुआ है, जहां पर आप स्नान कर सकते हैं। यहां पर बहुत सारे लोग बेतवा नदी में नहाने का आनंद उठाते हैं।
- चरण तीर्थ में च्यवन ऋषि ने तपस्या करी थी। ये जगह ऋषियों की तपस्थली के रूप में जाना जाता है।
इसे भी पढ़ें : चित्रकूट में घूमने की प्रमुख जगह
नवग्रह शनि देव मंदिर विदिशा (Navagraha Shani Dev Temple Vidisha)
नवग्रह शानी मंदिर विदिशा जिले के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर बेतवा नदी के किनारे बना हुआ है। यह मंदिर प्राचीन है और बहुत सुंदर है। इस मंदिर में आकर अच्छा लगता है। इस मंदिर में शनिवार के दिन बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। बहुत सारे लोग इस मंदिर में घूमने के लिए आते हैं। मंदिर के पास में ही बेतवा नदी का सुंदर घाट देखने के लिए मिलता है, जहां पर नहाने का आनंद उठाया जा सकता है।
नवग्रह शानी मंदिर की खासियत
- नवग्रह शानी मंदिर में ढेर सारे देवी देवता विराजमान है। यहां पर भगवान शिव जी, भगवान हनुमान जी और नवग्रह की मूर्तियां विराजमान है, जिनके दर्शन आप कर सकते हैं।
- यहां पर शनिवार के दिन बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। बहुत सारे लोग यहां पर शनि भगवान जी के दर्शन करने और भगवान शनि जी को तेल चढ़ाने के लिए आते हैं।
- शनि मंदिर के बाहर ढेर सारी दुकाने हैं, जहां पर प्रसाद एवं अन्य सामग्री मिल जाती है।
- शाम के समय यहां पर आकर समय बिताना बहुत अच्छा लगता है। आप यहां पर शाम के समय आकर घाट में बैठ सकते हैं और कुछ अच्छा शांतिपूर्वक समय बता सकते हैं।
श्री महल घाट मंदिर विदिशा (Shri Mahal Ghat Temple, Vidisha)
श्री महल घाट मंदिर को श्री अमृतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर विदिशा जिले में बेतवा नदी के किनारे बना हुआ है। इस मंदिर में आप सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में आकर अच्छा लगता है।
श्री महल घाट मंदिर की खासियत
- इस मंदिर के पीछे की तरफ बेतवा नदी पर सुंदर घाट बनाया है, जिसे महल घाट के नाम से जानते है। यहां पर जाकर आप बैठ सकते हैं और यहां पर आप स्नान कर सकते हैं।
- इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। हनुमान जी की बहुत ही आकर्षक प्रतिमा यहां पर विराजमान है।
- मंदिर का वातावरण शांत और आध्यात्मिक है। मंदिर में आकर आप कुछ अच्छा समय बिता सकते हैं और शांति से चिंतन कर सकते हैं।
रामघाट विदिशा (Ramghat, Vidisha)
रामघाट विदिशा के पास घूमने के लिए एक सुंदर और दर्शनीय स्थान में से एक है। यह घाट विदिशा में बेतवा नदी के किनारे बना हुआ है। यहां पर एक सुंदर मंदिर भी बना हुआ है। यहां पर आकर आप अच्छा और शांतिपूर्ण समय बिता सकते हैं। यहां पर पक्का घाट बना हुआ है, जहां पर आप बैठ सकते हैं।
रामघाट की खासियत
- रामघाट का वातावरण शांत और बहुत अच्छा रहता है। आप यहां पर आकर कुछ सुकून के पर बिता सकते हैं।
- आप यहां पर आकर नहाने का आनंद भी उठा सकते हैं।
रंगई हनुमान मंदिर विदिशा (Rangai Hanuman Temple, Vidisha)
रंगई हनुमान मंदिर विदिशा जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर विदिशा शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यह मंदिर सागर भोपाल मार्ग पर बना हुआ है। अगर आप भोपाल की तरफ से आ रहे है, तो यह मंदिर आपको विदिशा शहर में प्रवेश करने से पहले ही मिल जाता है। रंगई मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। इस मंदिर के मुख्य गर्भगृह में हनुमान जी की बहुत ही आकर्षक प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं।
रंगई मंदिर की खासियत
- रंगई मंदिर में मंगलवार के दिन बहुत सारे भक्त हनुमान जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। हनुमान जी के दर्शन करके अच्छा लगता है।
- मंदिर के बाहर ढेर सारी दुकाने हैं, जहां पर कैफे और रेस्टोरेंट बने हुए हैं, जहां पर आप खाना पी सकते हैं।
- यहां पर बेतवा नदी का बहुत ही सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है।
बाढ़ वाले गणेश जी का मंदिर विदिशा (Baadh Wale Ganesh Ji Temple, Vidisha)
बाढ़ वाले गणेश जी का मंदिर विदिशा जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर रंगई हनुमान मंदिर के पास में बेतवा नदी के दूसरे तरफ बना हुआ है। यह मंदिर श्री गणेश जी को समर्पित है। यह मंदिर बहुत ही अच्छी तरह से बना हुआ है। यहां पर बेतवा नदी का सुंदर घाट बना हुआ है। आप यहां पर आकर अच्छा और शांतिपूर्ण समय बिता सकते हैं।
बाढ़ वाले गणेश जी मंदिर की खासियत
- इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि इस मंदिर में विराजमान गणेश प्रतिमा बेतवा नदी में बहकर आई थी। इसलिए इस बाढ़ वाले गणेश जी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
- यहां पर बेतवा नदी पर सुंदर घाट बना हुआ है, जहां पर आप बैठ सकते हैं और शांति का अनुभव कर सकते हैं।
विश्वनाथ मंदिर देवपुर विदिशा – Vishwanath Temple Devpur Vidisha
विश्वनाथ मंदिर विदिशा जिले के पास घूमने के लिए एक अद्भुत और आश्चर्यजनक स्थान में से एक है। विश्वनाथ मंदिर विदिशा के सिरोंज के पास स्थित है। यह मंदिर देवपुर बना है, जो सिरोंज से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप यहां पर आसानी से घूमने के लिए आ सकते हैं। यह जगह बहुत ही सुंदर है। यहां पर बहुत बड़ा मंदिर परिसर है, जहां पर ढेर सारे मंदिर बने हुए हैं।
विश्वनाथ मंदिर बहुत सुंदर है। इस मंदिर में एक जल कुंड बना हुआ है। यह जलकुंड बहुत पवित्र है और इस जल कुंड के बारे में अलग-अलग मान्यताएं हैं। यह जल कुंड का जल स्रोत कहां है, इसके बारे में लोगों को भी जानकारी नहीं और यह जलकुंड कितना गहरा है। यह भी लोगों के लिए एक रहस्य है, क्योंकि आज तक इस जल कुंड के गहराई का पता नहीं चला है।
विश्वनाथ मंदिर की खासियत
- विश्वनाथ मंदिर परिसर में कई मंदिर बने हुए हैं। यहां पर शिव जी, विष्णु भगवान जी, द्वारकाधीश मंदिर और सनातनी माता मंदिर बने हुए हैं, जहां पर आप दर्शन कर सकते हैं।
- यहां पर दो तालाब बने हुए हैं। एक तालाब में ढेर सारे कमल के फूल देखने के लिए मिलते हैं और दूसरे तालाब में पानी देखने के लिए मिलता है, जो क्रिस्टल क्लियर है।
- इस जल कुंड में नहाना माना है, क्योंकि इन तालाब के बारे में माना जाता है, कि इसमें नागों का वास है।
- मंदिर परिसर बहुत अच्छा और शांत है। यहां पर आकर आप आध्यात्मिक वातावरण में कुछ अच्छा समय बिता सकते हैं।
हरसिद्धि माता मंदिर विदिशा (Harsiddhi Mata Temple, Vidisha)
हरसिद्धि माता मंदिर विदिशा जिले में बैरसिया के पास घूमने का एक मुख्य स्थान है। इस मंदिर को तरावली माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भोपाल बैरसिया रोड पर बना हुआ है। इस मंदिर तकआसानी से आ सकते हैं। मंदिर परिसर बहुत बड़ा और भव्य है।
यह मंदिर मध्य प्रदेश के प्राचीन मंदिरों में से एक है। भारत में हरसिद्धि माता मंदिर के तीन मंदिर प्रसिद्ध हैं, जिनमें से यह मंदिर एक है। यहां पर मां दुर्गा के हरसिद्धि रूप के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। मंदिर के गर्भगृह में माता की बहुत ही आकर्षक प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर आकर आप अच्छा और शांतिपूर्ण समय बिता सकते हैं।
हरसिद्धि माता मंदिर की खासियत
- यहां पर नवरात्रि के समय बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। बहुत सारे लोग यहां पर माता के दर्शन करने के लिए आते हैं।
- यह मंदिर भोपाल से 50 किलोमीटर और विदिशा से 45 किलोमीटर दूर स्थित है। आप यहां पर अपनी गाड़ी से या सार्वजनिक परिवहन से आ सकते हैं।
महामाई माता मंदिर सिरोंज विदिशा (Mahamai Mata Temple Sironj Vidisha)
महामाई माता मंदिर विदिशा जिले के सिरोंज के पास घूमने का मुख्य स्थान से एक है। यह मंदिर से सिरोंज के बाहरी क्षेत्र में सिरोंज भोपाल हाईवे मार्ग पर बना हुआ है। इस मंदिर में आप आसानी से सड़क मार्ग से आ सकते हैं। यह मंदिर एक ऊंचे पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। यह मंदिर सिरोंज की प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है। यहां पर मां दुर्गा महामाई के रूप में विराजमान है। मंदिर परिसर में और भी मंदिर बने हुए हैं।
महामाई मंदिर की खासियत
- महामाई मंदिर में नवरात्रि के समय बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। बहुत सारे लोग यहां पर माता के दर्शन करने के लिए आते हैं।
- मंदिर से चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। यहां पर डैम का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।
- शाम के समय यहां पर सूर्यास्त का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।
- मंदिर का वातावरण आध्यात्मिक है। यहां पर आकर अच्छा और शांतिपूर्वक समय बिताया जा सकता है।
नीलकंठेश्वर मंदिर उदयपुर विदिशा (Neelkantheshwar Temple Udaipur Vidisha)
नीलकंठेश्वर मंदिर विदिशा जिले के पास घूमने का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर विदिशा जिले के उदयपुर गांव में गंजबासौदा के पास स्थित है। इस मंदिर में आप सड़क मार्ग से घूमने के लिए आ सकते हैं। यह गंज बासौदा से 20 किलोमीटर दूर है। यह गंज बासौदा के पास एक अच्छा स्थान है। आप गंज बासौदा रेल मार्ग से आ सकते हैं और उसके बाद इस मंदिर में सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। या आप इस मंदिर में बस के द्वारा आराम से आ सकते हैं।
यह मंदिर प्राचीन है। यह मंदिर परमार कालीन है। इस मंदिर का निर्माण राजा भोज के पुत्र उदयादित्य द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर बहुत ही सुंदर तरीके से बना हुआ है। इस मंदिर की स्थापत्य शैली भूमिज है। इस मंदिर की दीवारों में सुंदर नक्काशी की गई है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। यह मंदिर शंकर भगवान जी को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में बहुत ही सुंदर शिवलिंग के दर्शन होते हैं। यहां पर अर्धनारीश्वर शिवलिंग के दर्शन होते हैं।
नीलकंठेश्वर मंदिर की खासियत
- यह मंदिर प्राचीन है और 11वीं शताब्दी में बनाया गया है।
- यह मंदिर बलुआ पत्थर से बना हुआ है पूरे मंदिर पर बारीक नक्काशी की गई है, जो बहुत ही खूबसूरत लगती है।
- मंदिर के स्तंभों में सुंदर नक्काशी की गई है।
- मंदिर के बाहर ढेर सारी पत्थर की मूर्तियां बनी हुई है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है, जो मंदिर के परिसर में इधर-उधर बिखरी पड़ी है।
- इस मंदिर में महाशिवरात्रि के समय बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। बहुत सारे लोग यहां पर घूमने के लिए आते हैं।
इसे भी पढ़ें : ओंकारेश्वर में घूमने की 10 बेहतरीन जगहें
मुरादपुर हनुमान मंदिर विदिशा (Muradpur Hanuman Temple, Vidisha)
मुरादपुर हनुमान मंदिर या प्राचीन हनुमान मंदिर के नाम से प्रसिद्ध, यह मंदिर विदिशा जिले के पास एक प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर विदिशा जिले में गंज बासौदा के पास मुरादपुर गांव में स्थित है। इस मंदिर में आप आसानी से घूमने के लिए आ सकते हैं। यह मंदिर उदयपुर मंदिर से करीब 5 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर बहुत अच्छी तरह से बना हुआ है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि आप हनुमान जी से जो भी मनोकामना मांगते हैं हनुमान जी जरूर पूरी करते हैं। मंदिर में हनुमान जी की बहुत ही अद्भुत प्रतिमा देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही सुंदर लगती है। मंदिर परिसर में विष्णु भगवान की वराह प्रतिमा विराजमान है, जो बहुत ही आकर्षक है।
मुरादपुर हनुमान मंदिर की खासियत
- मुरादपुर हनुमान मंदिर का परिसर बहुत अच्छा और शांत है। यहां पर अगर आप हनुमान जी के दर्शन कर सकते हैं।
- लोग यहां पर जाकर भगवान विष्णु वराह की प्रतिमा के नीचे से निकलते हैं। मोटे पतले जो भी लोगों वह यहां से निकल जाते हैं।
- हनुमान जी की यहां प्रतिमा बहुत ही अनोखी है। ऐसी प्रतिमा दुनिया में एकमात्र यही है। मंदिर परिसर में ढेर सारी प्राचीन मूर्तियों के दर्शन किए जा सकते हैं।
- हनुमान जयंती के समय मंदिर में बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। बहुत सारे लोग यहां पर घूमने के लिए आते हैं।
- मंदिर के पास एक बड़ा सा तालाब भी बना हुआ है, जो बहुत ही सुंदर है।
- मंदिर के बारे में बहुत सारी प्राचीन मान्यताएं हैं।
बिजासन मंदिर ग्यारसपुर (Bijasan Temple Gyaraspur)
मां बिजासन मंदिर ग्यारसपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर विदिशा जिले के ग्यारसपुर तहसील में पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है। मंदिर के नीचे एक बड़ा सा तालाब बना हुआ है। मंदिर चारों तरफ से प्राकृतिक वातावरण से घिरा है। यह मंदिर मां दुर्गा के रूप बिजासन देवी को समर्पित है। मंदिर में आकर अच्छा लगता है। मंदिर में मां दुर्गा के दर्शन करके बहुत ही शांति मिलती है।
बिजासन मंदिर की खासियत
- यह मंदिर चारों तरफ से प्राकृतिक परिवेश से घिरा है। यहां पर पहाड़ी और पेड़ पौधे देखने के लिए मिलते हैं।
- मंदिर के आस-पास प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक देखी जा सकती है, जो बहुत ही सुंदर लगती है।
- मंदिर के नीचे बने तालाब के पास में गार्डन बना हुआ है, जहां पर जाकर आप घूम सकते हैं और अच्छा समय बिता सकते हैं।
- मंदिर में तालाब के पास में ही राम मंदिर बना हुआ है, जहां पर आप घूम सकते हैं।
विदिशा जिले के ऐतिहासिक स्थान (Historical places in Vidisha district)
उदयगिरि की गुफाएं विदिशा (Udayagiri Caves, Vidisha)
उदयगिरि की गुफाएं भारत के सबसे प्राचीनतम स्थलों में से एक है। यह गुफाएं मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित है। यह गुफाएं हलाली नदी के किनारे बहुत बड़ी एरिया में फैली हुई हैं। यहां पर करीब 20 गुफाएं हैं, जो काफी बड़े एरिया में है। गुफा परिसर के अंदर प्रवेश करने के लिए शुल्क लिया जाता है। यहां पर चारों तरफ पहाड़ी, चट्टान और नदी का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। यहां पर हिंदू और जैन गुफाएं देखने के लिए मिलती है। इन गुफाओं में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई गई है।
इन मूर्तियों में सबसे प्रसिद्ध मूर्ति विष्णु भगवान जी की है। इस मूर्ति में भगवान विष्णु जी शेष शैय्या में लेटी हुई है। यह प्रतिमा बहुत बड़ी चट्टान में उकेर कर बनाई गई है। यहां पर एक और प्रतिमा है, जो बहुत प्रसिद्ध है। भगवान विष्णु जी का वराह अवतार देखने के लिए मिलता है, जिसमें विष्णु भगवान की पृथ्वी माता को अपनी सिंग में उठाए हुए हैं। इसके अलावा यहां पर शिव पार्वती के अर्धनारीश्वर प्रतिमा, गणेश जी की प्रतिमा और कार्तिकेय की प्रतिमा देखने मिलती है, जो चट्टान पर उकेर कर बनाई गई है।
उदयगिरि की गुफाओं की खासियत
- उदयगिरि की गुफाएं हलाली नदी के किनारे बनी हुई है। यहां से हलाली नदी का बहुत ही सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है।
- यहां पर चारों तरफ पेड़ पौधे और हरियाली देखने के लिए मिलती है। यहां पर ढेर सारे बंदर भी हैं।
- यहां पर आपको मोर और अन्य जानवर देखने के लिए मिल जाते हैं। यहां का एरिया जंगल वाला है, इसलिए यहां पर मोर देखे जा सकते हैं।
- बरसात में यह जगह और भी सुंदर हो जाती है। बरसात में यहां चारों तरफ हरियाली देखने के लिए मिलती है।
हेलिओडोरस स्तंभ या खंबा बाबा विदिशा (Heliodorus Pillar or Khamba Baba, Vidisha)
खंबा बाबा या हेलिओडोरस स्तंभ के नाम से प्रसिद्ध यह विदिशा जिले का एक ऐतिहासिक स्थान है। यह प्राचीन स्तंभ विदिशा जिले से 10 किलोमीटर दूर बेतवा नदी और हलाली संगम स्थल के पास में स्थित है। यह खंबा 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है। खंबे की ऊंचाई 20 फीट से भी अधिक है। यह प्राचीन स्तंभ ओपन एरिया में स्थित है। यहां पर चारों तरफ बाउंड्री वॉल बनी हुई है और इस स्तंभ के बारे में लिखा हुआ है।
खंबे में शिलालेख खुदे हुए हैं, जिससे मालूम चलता है कि यह खंबा गरुड़ध्वज है। इस खंभे को यहां के कुछ स्थानीय लोग पूजा भी करते हैं। इन लेखों के अनुसार हेलिओडोरस नामक एक यूनानी ने इस स्तंभ को स्थापित किया था।
हेलिओडोरस स्तंभ की खासियतें
- यह स्तंभ दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व का है और इसे ग्रीक राजदूत हेलिओडोरस ने भगवान विष्णु के सम्मान में बनवाया था।
- यह विश्व का एकमात्र ऐसा स्मारक है जो भारतीय संस्कृति और यूनानी सभ्यता के मेल का प्रतीक है।
- स्तंभ की स्थानीय लोग पूजा करते हैं। यह श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
बीजा मंडल मंदिर या विजय मंदिर विदिशा – Bija Mandal Temple or Vijay Mandir Vidisha
बीजा मंडल मंदिर विदिशा जिले के मध्य में स्थित ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। इस मंदिर तक जाने का रास्ता सकरी गलियों से होकर जाता है। यह मंदिर हाईवे सड़क से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। यह मंदिर प्राचीन है। इस मंदिर को प्राचीन समय में बिजया मंदिर के नाम से जाना जाता था। इस मंदिर परिसर में प्राचीन मंदिर, प्राचीन बावड़ी और एक संग्रहालय देखने के लिए मिलता है।
यहां पर एक सुंदर गार्डन भी बना हुआ है, जिसमें ढेर सारी पेड़ पौधे लगे हुए हैं और उनके बीच में यह मंदिर बना हुआ है। यहां पर पत्थर की बहुत सारी कलाकृतियां देखने के लिए मिलती है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर पहले मंदिर हुआ करता था, जो परमार वंश के द्वारा बनाया गया था। इस मंदिर में पाए गए शिलालेख के अनुसार यह मंदिर चर्चिका देवी या चंडिका देवी को समर्पित था। यह मंदिर 10 वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था। यहां पर खुदाई की गई जिसमें यहां पर अष्टभुजी गणेश जी की प्रतिमा, नृत्य करती हुई नारियों की प्रतिमा और महिषासुर मर्दिनी प्रतिमा पाई गई है।
बीजा मंडल मंदिर की खासियत
- यहां पर प्राचीन समय में भव्य मंदिर रहा था। मगर मुस्लिम शासक औरंगजेब ने इसे मस्जिद में परिवर्तित कर दिया। मगर आज भी आप इसमें हिंदू मंदिर के अवशेष देख सकते हैं।
- यहां पर संग्रहालय बना हुआ है, जहां पर प्राचीन मां मूर्तियों का कलेक्शन है। संग्रहालय में आपको ढेर सारी जानकारी भी मिलती है।
- यहाँ विशाल आकार का शिवलिंग और मंदिर के अवशेष देखने को मिलते हैं।
- पुरातत्व प्रेमियों के लिए यह स्थान खास आकर्षण रखता है।
लोहांगी पर्वत विदिशा (Lohangi Mountain Vidisha)
लोहंगी पर्वत विदिशा जिले के मध्य में स्थित देखने लायक प्रमुख स्थानों में से एक है। यह एक ऊंची पहाड़ी है, जिसमें जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। यह जगह मुख्य शहर में स्थित है, इसलिए यहां पर जाने का रास्ता थोड़ा सा तंग है। यह जगह प्राकृतिक और धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यहां पर प्राचीन मंदिर देखने के लिए मिलता है। यह जगह रेलवे स्टेशन के बहुत करीब है। यहां पर प्राचीन मंदिर और मस्जिद देखने के लिए मिलती है। यहां पर बैठने के लिए भी जगह बनी हुई है, जहां पर आप बैठ कर अच्छा समय बिता सकते हैं।
लोहंगी पर्वत की खासियत
- लोहंगी पर्वत से विदिशा शहर का मनोरम दृश्य देखने के लिए मिलता है।
- यहां पर शाम के समय आप सूर्यास्त का सुंदर दृश्य देख सकते हैं।
- बरसात के समय यह जगह बहुत ही आकर्षक हो जाती है। यहां पर चारों तरफ हरियाली देखने के लिए मिलती है।
- इस जगह का ऐतिहासिक धार्मिक महत्व है।
- यह जगह अनेकता में एकता का संदेश देती है, क्योंकि यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों के पवित्र स्थल मौजूद है।
इसे भी पढ़ें : इंदौर में घूमने की जगह
ग्यारसपुर (Gyaraspur)
ग्यारसपुर विदिशा जिले का एक छोटा कस्बा है जो प्राचीन मंदिरों और बौद्ध स्तूपों के लिए प्रसिद्ध है। ग्यारसपुर में ढेर सारे प्राचीन मंदिर और स्मारक के अवशेष देखे जा सकते हैं
बाजरामठ मंदिर या बज्र मठ मंदिर विदिशा (Bajramath Temple or Bajra Math Temple Vidisha)
बाजरा मठ मंदिर विदिशा के ग्यारसपुर में घूमने का मुख्य स्थल है। यह एक ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर मुख्य हाईवे सड़क के पास में स्थित है। इस मंदिर में आप घूमने के लिए जा सकते हैं। यह पूरा मंदिर पत्थर से बना हुआ है। मंदिर की दीवारों में खूबसूरत नक्काशी की गई है। मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है। यह जैन मंदिर है। इस मंदिर में जैन संतों की मूर्तियां विराजमान है। यह मंदिर दसवीं शताब्दी का है। मंदिर की चौखट में ब्रह्मा विष्णु और शिव जी का सुंदर अंकन किया गया है।
हिंडोला तोरण विदिशा (Hindola toran vidisha)
हिंडोला तोरण पर एक मंदिर के अवशेष देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर पूरा मंदिर खंडहर हो चुका है। मंदिर का दरवाजा ही शेष बचा हुआ है, जिसे आप देख सकते हैं। यह दरवाजा बहुत ही सुंदर है और आकर्षक है। इस दरवाजे में बारीक नक्काशी की गई है, जो देखने लायक है। यह मंदिर ग्यारसपुर में ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर तक जाने के लिए अच्छी रोड है।
माला देवी मंदिर ग्यारसपुर विदिशा (Mala Devi Temple Gyarspur Vidisha)
माला देवी मंदिर विदिशा जिले के पास घूमने के लिए मुख्य स्थान में से एक है। यह मंदिर ग्यारसपुर में ऊंची पहाड़ी पर, पहाड़ी के सबसे आखिरी छोर पर बना हुआ है। मंदिर तक जाने का रास्ता बहुत खूबसूरत है। यहां पर रास्ते के दोनों तरफ जंगल और पेड़ पौधे देखने के लिए मिलते हैं।
मंदिर बहुत ही सुंदर है। पूरा मंदिर पत्थरों से बना हुआ है। माला देवी मंदिर की दीवार पर खूबसूरत नक्काशी की गई है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार बंद रखा जाता है। मंदिर को आप बाहर से देख सकते हैं। मंदिर की दीवारों में हिंदू देवी देवताओं की सुंदर मूर्तियां बनाई गई है। इस मंदिर से आप चारों तरफ का दृश्य देख सकते हैं।
इस मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी में प्रतिहार राजवंश द्वारा किया गया था। यह मंदिर शक्ति की देवी और माला देवी को समर्पित है। यहां पर आपको जैन संतों की भी मूर्तियां देखने के लिए मिलती है। यहां से सूर्यास्त का बहुत ही आकर्षक दृश्य देखने के लिए मिलता है। आप यहां से दूर-दूर तक का सुंदर नजारा देख सकते हैं।
आठ्खाम्बा मंदिर ग्यारसपुर (Aathkhamba Temple, Gyaraspur)
आठ्खाम्बा मंदिर ग्यारसपुर में घूमने का एक मुख्य स्थान है। यह मंदिर ग्यारसपुर में मुख्य शहर में मुख्य रोड पर बना हुआ है। यह मंदिर प्राचीन है और बहुत सुंदर है। इस मंदिर को आठ खंबा मंदिर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसकी संरचना में केवल आठ खंबा या स्तंभ ही शेष रह गए हैं। बाकी मंदिर नष्ट हो गया है। इसलिए इस मंदिर को आठ्खाम्बा मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह एक शिव मंदिर है। यह मंदिर में रोड से ही देखने के लिए मिल जाता है। मंदिर के चारों तरफ बाउंड्री वॉल बनी हुई है।
देखिनाथ बुद्धिस्ट स्तूप ग्यारसपुर (Dekhinath Buddhist Stupa, Gyaraspur)
देखिनाथ बुद्धिस्ट स्तूप ग्यारसपुर के पास घूमने के लिए एक प्राचीन स्थान है। यह स्तूप ग्यारसपुर मुख्य शहर से 2 किलोमीटर दूर स्थित है। यह एक प्राचीन स्तूप है। यह स्तूप पहाड़ी पर बना हुआ है। इस स्तूप तक जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। स्तूप के चारों तरफ पहाड़ियों और पेड़ पौधे देखे जा सकते हैं। ग्यारसपुर में आप आते हैं, तो इस जगह को जरूर देखे। यहां पर भीड़भाड़ नहीं रहती है। आप आराम से यहां पर घूम सकते हैं।
ग्यारसपुर का किला (Gyaraspur Fort)
ग्यारसपुर का किला ग्यारसपुर मुख्य शहर में स्थित एक प्राचीन स्थान है। वैसे अब यहां पर किला नहीं रह गया है। किले के अवशेष ही देखे जा सकते हैं। किले की बाउंड्री वॉल और किले की खंडहर अवशेष यहां पर देखे जा सकते हैं। यह किला ऊंचाई पर बना हुआ है। किले के नीचे के एरिया में झील बनी हुई है।
सतधारा या बौद्ध स्तूप सतधारा विदिशा (Satdhara or Buddhist Stupa Satdhara Vidisha)
सतधारा या बौद्ध स्तूप सतधारा विदिशा के पास घूमने का एक ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थान है। यह स्थल भोपाल विदिशा मार्ग हाईवे मार्ग से करीब 5 किलोमीटर अंदर हलाली नदी के किनारे स्थित है। यहां पर चारों तरफ प्रकृतिक दृश्य देखने के लिए मिलता है। यहां पर आप अपने कार और बाइक से आ सकते हैं। यह जगह बहुत सुंदर है। यहां पर दो प्राचीन स्तूप देखने के लिए मिलते हैं, जो बहुत सुंदर है और इन्हें यहां अच्छी तरह से संरक्षित करके रखा गया है। यह स्तूप सांची के स्तूप से भी काफी पड़े हैं।
सतधारा की खासियत
- यह जगह प्राकृतिक परिवेश से घिरी है। यहां पर चारों तरफ हरियाली और पेड़ पौधे देखने के लिए मिलते हैं।
- यहां पर ढेर सारे बंदर है।
- यहां पर आप जाते हैं, तो खाने पीने का सामान लेकर जाएं, क्योंकि यहां पर किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है।
- यहां पर हलाली नदी का दृश्य देखने लायक रहता है।
सांची विदिशा (Sanchi, Vidisha)
सांची विदिशा के पास घूमने के लिए प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। सांची स्तूप एक विश्व धरोहर स्थल है। सांची बौद्ध स्मारक है। यह मध्य प्रदेश के भोपाल जिले से करीब 50 किलोमीटर दूर सांची में बना हुआ है। सांची एक छोटा सा शहर है, जहां पर यह स्तूप बने हुए हैं। सांची में आप रेल मार्ग और रोड मार्ग के द्वारा आसानी से आ सकते हैं। सांची रेलवे स्टेशन से आपको ऑटो मिल जाती है, जिससे आप आसानी से सांची स्तूप में पहुंच सकते हैं।
सांची स्तूप ऊंची पहाड़ी पर बने हुए हैं। स्तूप तक जाने के लिए पक्की सड़क बनी हुई है। यहां पर तीन मुख्य स्तूप देखने के लिए मिलते हैं। स्तूप के आस-पास ढेर सारे प्राचीन मंदिरों के अवशेष देखे जा सकते हैं, जो यहां पर संरक्षित करके रखे गए हैं। यह स्तूप बहुत बड़े एरिया में फैले हुए हैं। यह भारत की सबसे पुरानी पत्थर की संरचना में से एक है। यहां पर तालाब, गुप्तकालीन मंदिर, महल, खंडित स्तंभ, और मठ के अवशेष देखने के लिए मिल जाते हैं।
सांची के बौद्ध स्तूप को पहली और दूसरी शताब्दी के मध्य बनाया गया था। यह स्तूप सम्राट अशोक के द्वारा बनाए गए थे। यहां पर सम्राट अशोक का शिलालेख भी मिल है। यहां एक स्तूप सबसे बड़ा है और इस स्तूप के बारे में कहा जाता है, कि यहां पर भगवान बुद्ध की अस्थियों को रखा गया है। यह मुख्य स्तूप बहुत खूबसूरत है और इसमें बहुत खूबसूरत कारीगरी की गई है। यहां पर तोरण द्वार बने हुए, जिसमें भगवान बुद्ध के जीवन काल को दर्शाया गया है।
सांची स्तूप की खासियत
- सांची स्तूप परिसर में कैंटीन बनी हुई है, जहां पर चाय और खाने के लिए स्नेक्स मिल जाते हैं।
- यहां पर खरगोश और बदक पाली गई है।
- यहां पर सुंदर गार्डन बना हुआ है, जहां पर आप बैठ सकते हैं।
- यहां पर जंगल का एरिया भी है, जहां पर मोर जंगली जानवर रहते हैं। आप मोर को यहां पर करीब से देख सकते हैं।
- यहां पर लाइट और साउंड शो भी किया जाता है, जो यहां शाम के समय होता है।
एएसआई संग्रहालय सांची विदिशा (ASI Museum Sanchi)
ए एस आई संग्रहालय सांची बौद्ध परिसर के बाहर स्थित एक संग्रहालय है। यह संग्रहालय सांची में घूमने के लिए एक ज्ञानवर्धक जगह है। यहां पर आकर आपको सांची स्तूप के बारे में ढेर सारी जानकारी मिलेगी। आप सांची बौद्ध स्मारक में प्रवेश के लिए टिकट लेते हैं, तो संग्रहालय के लिए भी आप को टिकट मिल जाता है।
एएसआई संग्रहालय की खासियत
- इस संग्रहालय में आपको विभिन्न मूर्तियों का कलेक्शन देखने के लिए मिलेगा, जो सांची और आसपास के स्थल से इकट्ठा किया गया है।
- यहां पर हमारे देश का राष्ट्रीय चिन्ह देखने के लिए मिलता है। राष्ट्रीय चिन्ह जिसमें शेर की तीन मूर्तियां हैं। वह आप यहां पर देख सकते हैं।
अंधेर स्तूप विदिशा (Andher Stupa Vidisha)
अंधेर स्तूप विदिशा जिले के पास घूमने के लिएएक ऐतिहासिक स्थान है। यह स्तूप विदिशा से जिले के पास करहोड़ गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर है। यहां पर पहुंचने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है। यह स्तूप एक पहाड़ी पर बना हुआ है। पहाड़ी का रास्ता आपको पैदल चलकर पहुंचना पड़ेगा। पहाड़ी में पहुंचकर दो स्तूप देखने के लिए मिलते हैं, जो अच्छी कंडीशन में है।
अंधेर स्तूप की खासियत
- यहां पर आप बरसात के समय आएंगे, तो आपको बहुत अच्छा लगेगा। बरसात के समय यहां पर चारों तरफ हरियाली देखने के लिए मिलती है।
- यहां पर ज्यादा भीड़ बढ़ नहीं रहती है, तो यहां पर बहुत शांति है। अगर आप विदिशा के आस-पास किसी शांत जगह की तलाश कर रहे हैं, तो यहां पर आ सकते हैं।
मुरेलखुर्द स्तूप या भोजपुर स्थल स्तूप विदिशा (Murelkhurd Stupa or Bhojpur Site Stupa Vidisha)
मुरेलखुर्द स्तूप विदिशा जिले के पास घूमने के लिए एक शांत जगह है। आप यहां पर आकर अच्छा समय बिता सकते हैं। इस स्तूप को भोजपुर स्तूप के नाम से भी जाना जाता है। यह स्तूप ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर पहाड़ी पर ढेर सारी स्तूप देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर सात बड़े स्तूप और एक खंडित बौद्ध विहार देखने के लिए मिलता है। यहां पर छोटे-छोटे कई सारे स्तूप बने है।
आप यहां पर आकर इन स्तूप को देख सकते हैं। स्तूप तक पहुंचाने का रास्ता कहीं पर अच्छा है, तो कहीं पर कच्चा रास्ता है। यहां पर पहाड़ी के नीचे की तरफ घाट पिपरिया गांव बसा हुआ है। यहां पर किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है। आप यहां पर आते हैं, तो अपने साथ खाना और पानी जरूर लेकर आए।
मुरेलखुर्द स्तूप की खासियत
- यह जगह ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थल है।
- यहां पर बौद्ध धर्म के अनुयाई आते हैं और इस जगह के दर्शन करते हैं।
- यहां पर बरसात में आकर, आप इस जगह की खूबसूरती को देख सकते हैं। यहां पर चारों तरफ हरियाली देखने के लिए मिलती है।
पठारी (Pathari)
पठारी विदिशा जिले का एक मुख्य नगर है। यहां पर यह तहसील हेड क्वार्टर है। यहां पर ढेर सारे पर्यटक आकर्षण स्थल है, जहां पर आप घूम सकते हैं।
पठारी का किला (Pathari Fort)
पठारी का किला मुख्य शहर में बना हुआ है। यह किला पठारी झील के किनारे बना हुआ है। आप इस किले में घूमने के लिए जा सकते हैं और इस किले को देख सकते हैं। किले का अधिकांश भाग नष्ट हो गया है। यहाँ पुराने किले के अवशेष, मंदिर और प्राचीन मूर्तियाँ देखने को मिलती हैं। इतिहास प्रेमियों के लिए यह जगह खास महत्व रखती है।
करेली धाम सिद्ध क्षेत्र (Kareli Dham Siddha Kshetra)
बरेली धाम सिद्ध क्षेत्र पठारी में घूमने का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है। यह मंदिर प्राचीन है। मंदिर के आस-पास चारों तरफ का वातावरण बहुत अच्छा है। मंदिर में हनुमान जी की बहुत ही अद्भुत प्रतिमा देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही आकर्षक है। इस प्रतिमा के आप दर्शन कर सकते हैं। मंदिर के चारों तरफ प्रकृतिक परिदृश्य देखा जा सकता है। मंदिर के पास एक प्राचीन बावड़ी और एक स्मारक भी देखने के लिए मिलती है। हनुमान जी की प्रतिमा यहां पर खुले एरिया में रखी हुई है।
जैन मंदिर समूह पठारी (Jain Temple Group Pathari)
जैन मंदिर समूह पठारी के पास देखने के लिए एक ऐतिहासिक स्थान है। यहां पर ढेर सारे जैन मंदिर देखने के लिए मिलते हैं। यह सभी मंदिर पत्थरों से बने हुए हैं और इनमें सुंदर नक्काशी देखी जा सकती है। यहां पर ढेर सारे मंदिर बने हुए हैं। मंदिर के गर्भ ग्रह में जैन संतों की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं।
सप्तमातृका पठारी (Saptamatrika Pathari)
यह बडोह गाँव के पास में एक पहाड़ी पर स्थित स्थल है। यहां पर बड़ी चट्टान है, जिसे खोदकर आश्रय बनाया गया है और यहां पर सप्तमातृका की मूर्तियां देखने के लिए मिलती हैं, जो पांचवी शताब्दी की है। गुप्त और मौर्य काल के समय की है। यह मूर्तियां और वीरभद्र के समूह के भित्ति चित्र यहां पर देखे जा सकते हैं।
गडरमल मंदिर पठारी (Gadarmal Temple, Pathari)
गडरमल मंदिर पठारी के पास घूमने के लिए एक प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर नवी शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर पठारी गांव से चार किलोमीटर दूर बडोह गांव में बना हुआ है। यहां मंदिर को बहुत अच्छी तरह संरक्षित किया गया है। यह मंदिर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस मंदिरका शिखर को रिपेयर करवाया गया है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भेड़ चढ़ने वाली गडरिया के द्वारा किया गया था। इसलिए इस मंदिर को गडरमल मंदिर कहते है।
इसे भी पढ़ें : सीहोर में घूमने की बेहतरीन जगह
जिला संग्रहालय विदिशा (District Museum Vidisha)
जिला पुरातत्व संग्रहालय विदिशा शहर में स्थित एक अच्छी है। जो भी इतिहास प्रेमी है, वह इस जगह में घूम सकते हैं। यह संग्रहालय विदिशा शहर में रेलवे स्टेशन के बहुत करीब है। आप इस संग्रहालय में बहुत ही आसानी से पहुंच सकते हैं और अपना अच्छा समय बिता सकते हैं। इस संग्रहालय में प्राचीन मूर्तियों का बहुत बड़ा संग्रह देखने के लिए मिलता है। यह सारी मूर्तियां पत्थरों से बनी हुई है। यहां पर आप विष्णु भगवान के वराह अवतार की मूर्ति देख सकते हैं।
विदिशा जिले के पास फेमस डैम (Famous Dam near Vidisha District)
उदयगिरि बांध विदिशा (Udayagiri Dam Vidisha)
उदयगिरि बांध उदयगिरि गुफाओं के पीछे की तरफ बना हुआ एक सुंदर बांध है। यह डैम हलाली नदी पर बना हुआ है। इस बांध में आप घूमने के लिए जा सकते हैं। यहां पर जाने के लिए रास्ता बना हुआ है। डैम के आसपास का दृश्य बहुत अच्छा है। यहां पर पेड़ पौधे लगे हैं और चट्टानें हैं। यहां पर पहाड़ी का दृश्य भी अच्छा है। पहाड़ी के ऊपर से उदयगिरि का दृश्य खूबसूरत लगता है।
कालिदास डैम विदिशा (Kalidas Dam, Vidisha)
कालिदास डैम विदिशा के पास पिकनिक मनाने के लिए एक बढ़िया स्थल है। यहां पर आकर आप पिकनिक मना सकते हैं। यहां पर आप अपनी फैमिली और दोस्तों के साथ आ सकते हैं। यहां पर एक छोटा सा गार्डन भी बना हुआ है, जहां पर जाकर आप बैठ सकते हैं।
संजय सागर बांध (Sanjay Sagar Dam)
संजय सागर बांध मध्य प्रदेश के एक प्रसिद्ध डैम में एक है। यह बांध मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के पास शमशाबाद में स्थित है। आप यहां पर आसानी से सड़क मार्ग से घूमने के लिए आ सकते हैं। यह बांध बहुत बड़े एरिया में फैला हुआ है। यह बांध बहुत सुंदर है। बरसात में इस बांध का नजारा देखते ही बनता है।
संजय सागर बांध की खासियत
- यहां पर शाम के समय सूर्यास्त का बहुत ही सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। आप यहां पर जाकर शाम के समय सूर्यास्त की सुंदर दृश्य को एंजॉय कर सकते हैं।
- बरसात में डैम का जलस्तर बढ़ जाता है जिससे यह डैम बहुत ही आकर्षक लगता है।
विदिशा घूमने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit in Vidisha)
विदिशा घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक माना जाता है। इस दौरान मौसम ठंडा और सुहावना रहता है और तापमान लगभग 8°C–25°C रहता है। इस समय मंदिर और ऐतिहासिक धरोहरों, जहां पर चढ़ाई बहुत ज्यादा रहती है और चलना रहता है। आप इस समय आराम से इन जगह की यात्रा कर सकते हैं। इस समय आपको किसी प्रकार की थकान नहीं होगी और ना ही कोई दिक्कत होती है।
मानसून के समय जुलाई से सितंबर तक बारिश का मौसम होता है। बारिश से वातावरण हरियाली से भर जाता है, उदयगिरि की पहाड़ियाँ और आसपास के झरने सुंदर दिखते हैं। लेकिन ज़्यादा बारिश में घूमना मुश्किल हो सकता है। गर्मी के समय अप्रैल–जून तक होता है। तापमान 40°C से ऊपर पहुँच जाता है। इस मौसम में घूमना असुविधाजनक होता है, खासकर दोपहर में।
विदिशा कैसे पहुंचे (How to Reach Vidisha)
विदिशा पहुँचना काफी आसान है क्योंकि यह मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक और प्रसिद्ध शहर है। आप यहाँ रेल, सड़क और हवाई मार्ग से पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग : विदिशा मुख्य शहर में रेलवे स्टेशन बना हुआ है। विदिशा रेलवे स्टेशन (BHS) पश्चिम-मध्य रेलवे का प्रमुख स्टेशन है। यह दिल्ली–चेन्नई और दिल्ली–मुंबई मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है। भोपाल (60 किमी), इंदौर, जबलपुर, नागपुर, दिल्ली, मुंबई और वाराणसी सहित कई बड़े शहरों से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग : विदिशा राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्गों से जुड़ा हुआ है। भोपाल से विदिशा की दूरी लगभग 60 किमी है, जो कार या बस से 1–1.5 घंटे में तय की जा सकती है। इंदौर (230 किमी), उज्जैन (180 किमी), सागर (112 किमी) और ग्वालियर (210 किमी) से भी बस सेवाएँ आसानी से मिलती हैं।
हवाई मार्ग : विदिशा का नज़दीकी हवाई अड्डा राजाभोज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, भोपाल है, जो लगभग 55–60 किमी दूर है। एयरपोर्ट से टैक्सी या बस लेकर आसानी से विदिशा पहुँचा जा सकता है।
विदिशा की गूगल मैप लोकेशन
विदिशा यात्रा के सुझाव
- इतिहास और पुरातत्व में रुचि हो तो यहाँ 2–3 दिन का समय रखें।
- उदयगिरि गुफाएँ और बेसनगर को ज़रूर देखें।
- स्थानीय गाइड के साथ घूमने से ऐतिहासिक जानकारी अच्छी तरह मिलती है।
- गर्मियों में यात्रा से बचें, सर्दी का मौसम सबसे बेहतर है।
विदिशा में घूमने की जगह (Vidisha Tourist Places in Hindi) – FAQ
1. विदिशा घूमने का सबसे अच्छा समय कब है?
विदिशा घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है, जब मौसम ठंडा और सुहावना रहता है।
2. विदिशा कैसे पहुँचा जा सकता है?
विदिशा रेल और सड़क दोनों मार्गों से आसानी से जुड़ा है।
रेलवे स्टेशन – विदिशा रेलवे स्टेशन (BHS)
नज़दीकी एयरपोर्ट – भोपाल (राजाभोज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा), लगभग 60 किमी दूर।
3. विदिशा में कौन-कौन से प्रमुख पर्यटन स्थल हैं?
उदयगिरि गुफाएँ, हेलियोडोरस स्तंभ (गरुड़ स्तंभ), ग्यारसपुर मंदिर, बिजामंडल, बासोदा और बेतवा नदी किनारे के स्थल।
4. विदिशा घूमने में कितना समय लगेगा?
विदिशा शहर और आसपास के प्रमुख पर्यटन स्थलों को आराम से घूमने में 1–2 दिन लगते हैं।
5. विदिशा किसके लिए प्रसिद्ध है?
विदिशा अपनी गुप्तकालीन शिल्पकला, उदयगिरि की गुफाओं, गरुड़ स्तंभ और मौर्यकालीन इतिहास (अशोक और देवी की कहानी) के लिए प्रसिद्ध है।
6. विदिशा में रहने की व्यवस्था कैसी है?
विदिशा और भोपाल दोनों जगह पर होटल, लॉज और धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं। यदि बेहतर सुविधा चाहिए तो भोपाल में ठहरना अच्छा विकल्प है।
7. क्या विदिशा परिवार यात्रा या धार्मिक यात्रा के लिए उपयुक्त है?
हाँ, विदिशा ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है, जो परिवार और आध्यात्मिक यात्रा दोनों के लिए उपयुक्त है।
निष्कर्ष
विदिशा जिला अपने अंदर धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को समेटे हुए है। यहाँ की गुफाएँ, मंदिर, स्तंभ और किले भारत की प्राचीन सभ्यता और स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण हैं। चाहे आप इतिहास प्रेमी हों, धार्मिक आस्था से जुड़े हों या प्राकृतिक सुंदरता के शौकीन, विदिशा हर किसी को आकर्षित करता है।
👉 यदि आप मध्य प्रदेश की यात्रा की योजना बना रहे हैं तो विदिशा को अपनी लिस्ट में ज़रूर शामिल करें। यहाँ की यात्रा आपके अनुभव को अविस्मरणीय बना देगी।
