सिंगौरगढ़ का किला: दमोह का प्राचीन किला
भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित सिंगौरगढ़ का किला (Singorgarh Fort) एक प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर है। यह किला दमोह जिले के जबेरा तहसील के पास सिंगौरगढ़ स्थित है। यह किला गोंड राजाओं की शक्ति और शौर्य का प्रतीक माना जाता था। सिंगौरगढ़ का किला प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। यहां पर चारों तरफ प्रकृति की अद्भुत छटा देखने के लिए मिलती है।
सिंगौरगढ़ का किला सुंदरता और भव्यता (Singorgarh Fort Magnificence)
सिंगौरगढ़ का किला (Singorgarh Fort) मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध और सुंदर किलो में से एक है। वर्तमान समय में यह किला खंडहर अवस्था में पड़ा हुआ है, मगर यह प्राचीन समय में बहुत सुंदर और भव्य हुआ करता था। यह किला ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। किले तक पहुंचाने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है, जो बहुत ही मजेदार रहता है। ट्रैकिंग का रास्ता उबड़ खाबड़ और हरियाली से घिरा हुआ है। किले के चारों तरफ घना जंगल है।
सिंगौरगढ़ का किला 2 मंजिला है। किले में ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। सीढ़ियां से चढ़कर आप किले के ऊपर जा सकते हैं और चारों तरफ का दृश्य देख सकते हैं। किले के आसपास मंदिर के अवशेष देखे जा सकते हैं और आसपास पड़ी ढेर सारी प्राचीन मूर्तियां देखी जा सकती है। यह किला दिन के समय घूमने के लिए बढ़िया जगह है। रात के समय इस किले को हांटेड माना जाता है। यह किला बहुत सुंदर है। अगर आप दमोह की यात्रा कर रहे हैं, तो इस किले में जाकर इसकी सुंदरता को देख सकते हैं।
सिंगौरगढ़ किले की यात्रा (Singorgarh Fort Travel)
सिंगौरगढ़ किले की यात्रा की यात्रा शुरू होती है – दमोह जबलपुर मार्ग में। जबलपुर दमोह हाईवे मार्ग पर सिंग्रामपुर नाम का एक गांव है। सिंग्रामपुर गांव के अंत में रानी दुर्गावती पार्क बना हुआ है, जहां पर रानी दुर्गावती की बहुत सुंदर प्रतिमा स्थापित है। यहां पर तिराहा बना हुआ है, जहां पर एक रास्ता सिंगौरगढ़ किले (Singorgarh Fort) की ओर जाता है। आप इस मोड़ से सिंग्रामपुर से घने जंगल की ओर मुड़ जाते हैं। घने जंगल में आगे जाने पर आपको वन अधिकारियों की चौकी देखने के लिए मिलती है।
चौकी से आपको टिकट लेना पड़ता है। वन में प्रवेश करने से पहले आपको टिकट लेना पड़ता है, क्योंकि यह किला अभ्यारण के अंदर आता है। इसलिए आपको टिकट लेना पड़ता है। उसके बाद आप जंगल के अंदर यात्रा कर सकते हैं। जंगल के अंदर किले तक पहुंचाने के लिए कच्चा मार्ग है , जगह – जगह पर मार्क बने है, जिससे आप आसानी से किले तक पहुंच सकते हैं।
किले के जाने के रास्ते कभी-कभी इतनी सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलते हैं, कि आप कुछ समय वहां पर खड़े होकर उन दृश्यों को लगातार देखते रह सकते हैं। किले के पास पहुंच कर आपको पहाड़ी के ऊपर एक बड़ा सा भव्य शानदार प्राचीन भवन देखने के लिए मिलता है। इसे हाथी दरवाजा कहा जाता है। यहां पर एक बड़ा सा दरवाजा बनाया गया है।
इसके बारे में कहा जाता है, कि यहां पर प्राचीन समय में हाथी प्रवेश करते थे। यह दरवाजा देखने में बहुत सुंदर लगता है। इसके साथ ही यहां पर भवन, सैनिकों के रहने का स्थान भी देखा जा सकता है। हाथी दरवाजे के पास सिंगौरगढ़ किले की ओर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। यह सीढ़ियां देखने में बहुत पतली और छोटी लगती है। इन सीढ़ियां से होते हुए आप पहाड़ी के ऊपर ट्रैकिंग करना स्टार्ट करते हैं।
अगर आप यहां पर जाते हैं, तो अपने साथ पानी जरूर लेकर जाएं, क्योंकि ऊपर पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। ऊपर पहुंचकर यह सीढ़ियां खत्म हो जाती हैं और पहाड़ी चालू हो जाती है। यहां पर पहाड़ी पर बना उबर खाबर रास्ते से होते हुए आप ऊपर तक पहुंचाते हैं। ऊपर की कुछ सीढ़ियां प्राचीन है और यहां पर पहाड़ी का किनारा देखा जा सकता है, जहां पर लापरवाही करने पर आपको गंभीर चोट आ सकती है।
पहाड़ के ऊपर पहुंच कर समतल भाग देखने के लिए मिलता है, जहां पर आपको कुछ दूरी पर चलना पड़ता है। यहां पर रास्ते की दोनों तरफ जंगल देखा जा सकता है और कुछ प्राचीन तालाब देखे जा सकते हैं, जो पुराने हैं। किले में पहुंच कर, किले के बाहर प्राचीन मंदिरों और मूर्ति के अवशेष देखने के लिए मिलते हैं। किले के अंदर जाने पर किले में बने हुए कमरे देखे जा सकते हैं। किले के ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है, जिसके ऊपर चढ़ा जा सकता है और किले के चारों तरफ देखा जा सकता है।
किले में कुछ देर घूमने के बाद, आप नीचे आ सकते हैं। किले के चारों तरफ प्राचीन मूर्तियों के अवशेष देखने के लिए मिलते हैं। सिंगौरगढ़ किले में नीचे आने के बाद, तलहटी में, रोड में आगे बढ़ने पर सिंगौरगढ़ झील देखने के लिए मिलती है। यह झील बहुत बड़े एरिया में फैली हुई है और बहुत सुंदर है। यह झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है। यहां पर आकर आप कुछ समय बिता सकते हैं।
सिंगौरगढ़ किले का इतिहास (Singorgarh Fort History)
गोंड साम्राज्य से जुड़ा इतिहास
सिंगौरगढ़ का किला (Singorgarh Fort) गोंड वंश की शक्ति का प्रमुख केंद्र रहा है। गोंड शासकों ने इस किले को अपनी राजधानी और प्रशासनिक केंद्र बनाया। ऐतिहासिक अभिलेख बताते हैं कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच यह किला गोंड राज्य की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था।
रानी दुर्गावती से संबंध
सिंगौरगढ़ किले का नाम रानी दुर्गावती से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। रानी दुर्गावती, गोंड शासक संग्राम शाह की पुत्रवधू और वीर नारायण की पत्नी थीं। रानी दुर्गावती की वीरता और बलिदान भारतीय इतिहास में अमर है। माना जाता है कि उन्होंने कई बार सिंगौरगढ़ किले में निवास किया और यहीं से अपनी सेना का संचालन भी किया।
मुगल आक्रमण
सिंगौरगढ़ का किला (Singorgarh Fort) 1564 ईस्वी में मुगलों के आक्रमण का भी गवाह रहा है। अकबर के सेनापति आसफ खां ने रानी दुर्गावती के खिलाफ अभियान चलाया था। इसी समय यह किला भी युद्ध का केंद्र बना। यद्यपि यह किला धीरे-धीरे मुगलों के कब्जे में आ गया, लेकिन इसकी ऐतिहासिक छवि आज भी गोंड राजाओं की शौर्यगाथा को दर्शाती है।
सिंगौरगढ़ किले की वास्तुकला
सिंगौरगढ़ का किला (Singorgarh Fort) अपनी विशिष्ट गोंड वास्तुकला और प्राकृतिक रक्षा प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है।
- स्थान: किला पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जिससे दुश्मनों पर निगरानी करना आसान होता था।
- निर्माण शैली: इसमें पत्थरों से बनी मजबूत दीवारें और ऊंचे बुर्ज (towers) हैं।
- जल प्रबंधन: किले के अंदर कुएँ और तालाब बनाए गए थे, जो लंबे समय तक घेराबंदी के दौरान पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करते थे।
- द्वार और मार्ग: किले के मुख्य द्वार पर भारी पत्थरों और लोहे का प्रयोग किया गया है। प्रवेश मार्ग को इस तरह से बनाया गया है कि दुश्मन सीधे अंदर प्रवेश न कर सके।
- अवशेष: आज भी किले के खंडहरों में मंदिर, तोरणद्वार, महलनुमा संरचनाएँ और प्राचीन दीवारें देखी जा सकती हैं।
सिंगौरगढ़ किले का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
- गोंड समाज के लिए यह किला उनकी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है।
- यहां देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर भी हैं।
- स्थानीय लोग मानते हैं कि यह किला सिर्फ इतिहास ही नहीं, बल्कि आस्था का केंद्र भी है।
पर्यटन आकर्षण
सिंगौरगढ़ किला आज एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन चुका है।
यहाँ आने वाले पर्यटक इतिहास, प्रकृति और साहसिक पर्यटन (Adventure Tourism) का अनुभव एक साथ कर सकते हैं।
देखने योग्य स्थल
- किले की दीवारें और बुर्ज – गोंड शासकों की शक्ति का प्रतीक।
- तालाब और कुएँ – जल संरक्षण का अनूठा उदाहरण।
- खंडहर – प्राचीन मंदिर और राजमहल के अवशेष।
- प्राकृतिक सौंदर्य – पहाड़ियों और जंगलों से घिरा वातावरण।
फोटोग्राफी के लिए स्वर्ग
किले के खंडहर, हरी-भरी पहाड़ियाँ और ऐतिहासिक माहौल फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए बेहतरीन जगह है।
सिंगोरगढ़ किला किसके द्वारा बनवाया गया था (Singorgarh Fort Damoh built by)
सिंगौरगढ़ किले का निर्माण गोंड राजाओं द्वारा कराया गया था।
इतिहासकारों के अनुसार –
- यह किला 14वीं–15वीं शताब्दी के आसपास गोंड शासकों ने बनवाया था।
- इसका प्रमुख विकास और विस्तार गोंड वंश के संग्राम शाह (15वीं शताब्दी) के समय हुआ।
- संग्राम शाह ने गढ़ा-कटंगा साम्राज्य की राजधानी गढ़ा किला (जबलपुर) में रखी थी, लेकिन सिंगौरगढ़ किला सामरिक और प्रशासनिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान था।
बाद में यह किला उनकी पुत्रवधू रानी दुर्गावती से भी जुड़ गया, जिन्होंने यहाँ से शासन और युद्ध संचालन किया।
सिंगोरगढ़ किले की दूरी (Singorgarh fort distance)
सिंगौरगढ़ किले की दूरी प्रमुख स्थानों से दूरी :
- दमोह से सिंगौरगढ़ किला की दूरी (Distance from Damoh to Singaurgarh Fort) → लगभग 45–50 किमी
- जबलपुर से सिंगौरगढ़ किला की दूरी (Distance from Jabalpur to Singorgarh Fort) → लगभग 50–55 किमी
- सागर से सिंगौरगढ़ किला की दूरी (Distance from Sagar to Singaurgarh Fort) → लगभग 150 किमी
- भोपाल से सिंगौरगढ़ किला की दूरी (Distance from Bhopal to Singorgarh Fort) → लगभग 300 किमी
यहाँ तक पहुँचने के लिए सबसे आसान रास्ता जबलपुर या दमोह से है। जबलपुर से सड़क मार्ग द्वारा करीब 1.5 घंटे में किले तक पहुंचा जा सकता है।
सिंगौरगढ़ किले की यात्रा गाइड (Travel Guide of Singaurgarh Fort)
सिंगौरगढ़ किला कहाँ है (Where is Singorgarh Fort)
- स्थान: दमोह जिला, मध्य प्रदेश
- निकटतम शहर: जबलपुर (लगभग 45–50 किमी) और दमोह (लगभग 55 किमी)
सिंगौरगढ़ किला की गूगल मैप लोकेशन
सिंगौरगढ़ किला कैसे पहुंचे (How to Reach Singaurgarh Fort)
- सड़क मार्ग: जबलपुर और दमोह से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जबलपुर है।
- वायु मार्ग: जबलपुर हवाई अड्डा (Dumna Airport) सबसे निकट है।
सिंगौरगढ़ किले में घूमने का सही समय (Best time to visit Singaurgarh Fort)
सिंगौरगढ़ किले की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और यात्रा में सुविधा होती है।
यात्रा के लिए सुझाव और सावधानियाँ
- किले के आसपास घना जंगल और पहाड़ी क्षेत्र है, इसलिए आरामदायक जूते पहनकर जाएँ।
- पानी और हल्का नाश्ता साथ रखें क्योंकि आसपास खाने-पीने की अधिक व्यवस्था नहीं है।
- स्थानीय गाइड की मदद लें, ताकि आपको किले का पूरा इतिहास और महत्व समझने में आसानी हो।
- फोटोग्राफी करते समय सुरक्षित स्थानों का ही चयन करें।
- मानसून में यहाँ जाने से बचें, क्योंकि रास्ते फिसलन भरे हो जाते हैं।
सिंगौरगढ़ किले का वर्तमान स्वरूप
आज सिंगौरगढ़ किला खंडहरों में तब्दील हो चुका है, लेकिन इसकी दीवारें, दरवाजे और स्थापत्य कला अब भी इसकी भव्यता की झलक दिखाती हैं। सरकार और पुरातत्व विभाग द्वारा इस किले को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।
निष्कर्ष
सिंगौरगढ़ का किला सिर्फ पत्थरों का ढेर नहीं है, बल्कि यह गोंड साम्राज्य की वीरता, संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रतीक है। यह किला हमें रानी दुर्गावती जैसी महान वीरांगना की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने साहस और बलिदान से भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। अगर आप इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य में रुचि रखते हैं, तो सिंगौरगढ़ किला आपकी यात्रा सूची में अवश्य होना चाहिए।
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