गढ़कालिका मंदिर उज्जैन – इतिहास, महत्व और यात्रा गाइड
उज्जैन, जिसे भारत की धार्मिक राजधानी कहा जाता है, अनेक प्राचीन और शक्तिपीठ मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक है गढ़कालिका मंदिर (Garh Kalika Mandir), जो देवी कालिका को समर्पित है। उज्जैन का गढ़ कालिका मंदिर, उज्जैन के प्रसिद्ध धार्मिक स्थान में से एक है। यह मंदिर उज्जैन में शिप्रा नदी के पास में भरधरी गुफा के रास्ते में बना हुआ है।
यह मंदिर बहुत प्राचीन है और इस मंदिर को लेकर बहुत सारी मान्यताएं है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका उल्लेख कालिदास की कृतियों और प्राचीन इतिहास में भी मिलता है। नवरात्रि और खास अवसरों पर यहाँ हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। आज हम उज्जैन के गढ़ कालिका मंदिर के बारे में जानेंगे
उज्जैन के गढ़ कालिका मंदिर की यात्रा और दर्शन (Yatra and Darshan the Garh Kalika Mandir Ujjain)
गढ़ कालिका मंदिर उज्जैन (Garh Kalika Mandir Ujjain)के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर प्राचीन है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि कवि कालिदास जी, गढ़ कालिका जी के अनन्य भक्त थे और गढ़कालिका मां की कृपा से ही कालिदास जी को इतनी बुद्धि प्राप्त हुई थी, कि उन्होंने महान ग्रन्थ की रचना की। गढ़ कालिका मंदिर उज्जैन मुख्य शहर से करीब 4 किलोमीटर दूर भरतरी गुफा की ओर की ओर जाने वाले रास्ते में बना हुआ है।
गढ़ कालिका मंदिर (Garh Kalika Mandir) में आप सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। गढ़ कालिका मंदिर जाने के रास्ते में, स्थिरमन गणेश जी का मंदिर बना है, जो बहुत ही प्रसिद्ध है और इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि जिसका भी मन स्थिर नहीं रहता है। वह इस मंदिर में आकर दर्शन कर सकता है, तो मन स्थिर हो जाता है। कहा जाता है, कि यह मंदिर प्राचीन है और प्राचीन समय में यहां पर राजा विक्रमादित्य आया करते थे।
स्थिरमन गणेश जी का मंदिर के दर्शन करने के बाद, आप काली का मंदिर आ सकते हैं। मंदिर के बाहर पार्किंग के लिए बड़ी सी जगह है, जहां पर आप अपनी गाड़ी कर सकते हैं। उसके बाद आप मंदिर में जा सकते हैं। मंदिर के बाहर आपको ढेर सारे दुकान देखने के लिए मिलती हैं, जहां से आप प्रसाद ले सकते हैं। यहां पर पार्किंग फ्री है। यहां पर पार्किंग का कोई भी चार्ज नहीं लिया जाता है। यहां पर खाने-पीने की दुकान भी है।
गढ़ कालिका मंदिर (Garh Kalika Mandir) के अंदर, मुख्य मंदिर देखने के लिए मिलता है, जो बहुत ही सुंदर है। इसमें एक बड़ा सा मंडप और मुख्य गर्भगृह देखा जा सकता है। गर्भगृह के ऊपर शिखर का भाग देखा जा सकता है, जो बहुत ही सुंदर है। इसमें छोटे-छोटे शिखर से बड़ा शिखर को सुसज्जित किया गया है। मुख्य गर्भगृह के ठीक सामने शेर की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। शेर मां गढ़कालिका की सवारी है।
गढ़कालिका जी का मंदिर बहुत ही सुंदर है। गढ़कालिका मंदिर के गर्भ गृह में माता की बहुत सुंदर प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। माता गढ़कालिका मां दुर्गा का ही एक रूप है। यह भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों में विराजमान है। उज्जैन में यह गढ़कालिका के रूप में विराजमान है।
मुख्य गर्भगृह में माँ गढ़ कालिका के मुख का विग्रह देखने के लिए मिलता है, जो बहुत ही सुंदर लगता है। मां की प्रतिमा सिंदूरी रंग की है। माँ को गहनों और आभूषणों से सुसज्जित किया गया है। मंदिर में आकर एक अलग तरह की शांति मिलती है। यहां पर आकर आप अच्छा समय बिता सकते हैं। मंदिर के बाहर दीप स्तंभ पर भी बने हुए हैं, जो बहुत सुंदर लगते हैं।
मुख्य मंदिर के बाहर ढेर सारे देवी देवता विराजमान है, जिनके दर्शन आप कर सकते हैं। यहां पर गणेश भगवान जी, विष्णु जी, हनुमान जी के दर्शन किए जा सकते हैं। यहां पर लोग आकर सिंदूर से दीवार के पीछे स्वास्तिक बनाते हैं और दीवार पर सिक्का चिपकाते हैं और अपनी इच्छाओं को मांगते हैं। दीवार पर साफ लिखा हुआ है, की दीवार को गंदा ना करें। फिर भी लोग इस तरह का काम करते हैं।
मंदिर के प्रांगण में आप कुछ मय बैठ सकते हैं और शांति का अनुभव कर सकते हैं। यहां पर बहुत अच्छा लगता है। यहां पर बहुत सारे लोग बैठेते हैं। यहां पर लोग आकर भजन कीर्तन करते हैं। आप भी यहां भजन कीर्तन में शामिल हो सकते हैं।
गढ़ कालिका मंदिर का इतिहास (Shri Garh Kalika Mandir Ujjain History )
श्री गढ़कालिका लोक परंपरा के अनुसार गढ़कालिका माता महाकवि कालिदास की इष्ट देवी मानी जाती है। प्रसिद्ध संस्कृत कवि महाकवि कालिदास इस मंदिर के परम भक्त थे और उन्होंने देवी की कृपा से अद्वितीय काव्य रचनाएँ कीं। इस मंदिर के शुंगकाल ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी गुप्त काल चौथी शताब्दी तथा परमार काल दसवीं से बारहवीं शताब्दी की प्रतिमाएं एवं नीव प्राप्त हुई है। सम्राट हर्षवर्धन ने सातवीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। परमार राज्यकाल 10 वीं शताब्दी में करवाए गए जीर्णोद्धार के अवशेष भी मिले हैं। बीसवीं शताब्दी में परंपरागत पुजारी श्री सिद्धनाथ जी महाराज ने विक्रम संवत 2001 में जीर्णोद्धार करवाया था।
धार्मिक महत्व
गढ़कालिका मंदिर (Garh Kalika Mandir) का महत्व शक्ति साधना और देवी उपासना से जुड़ा है।
- देवी कालिका को सृष्टि की शक्ति और संहार की देवी माना जाता है।
- नवरात्रि, चैत्र और आश्विन मास में यहाँ विशेष पूजा-अर्चना होती है।
- श्रद्धालु मानते हैं कि यहाँ माता से मनोकामना मांगने पर वह अवश्य पूर्ण होती है।
- मंदिर में विशेष रूप से तांत्रिक साधना और दुर्गा सप्तशती पाठ का आयोजन किया जाता है।
मंदिर की वास्तुकला
- गढ़कालिका मंदिर का स्थापत्य शैली प्राचीन भारतीय नागर शैली में है।
- मंदिर का मुख्य गर्भगृह (Garbhagriha) विशाल और भव्य है, जहाँ माता कालिका की प्रतिमा स्थापित है।
- मंदिर का शिखर ऊँचा और आकर्षक है, जिस पर धार्मिक शिल्पकला की झलक दिखाई देती है।
- परिसर में कई छोटे मंदिर और यज्ञ वेदी भी स्थित हैं।
- यहाँ प्रवेश करते ही वातावरण भक्तिमय और ऊर्जावान प्रतीत होता है।
गढ़ कालिका मंदिर में नवरात्रि उत्सव (Navratri Celebration at Garh Kalika Mandir)
गढ़कालिका मंदिर (Garh Kalika Mandir) में नवरात्रि उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस समय मंदिर को बहुत ही खूबसूरती से सजाया जाता है। इस समय बहुत सारे भक्त मंदिर के दर्शन करने के लिए आता है। माना जाता है, कि नवरात्रि में मां के दर्शन करने का महत्व बहुत अधिक होता है, इसलिए इस समय बहुत सारे लोग मां के दर्शन करने के लिए आते हैं।
गढ़ कालिका मंदिर में दर्शन का समय (Darshan Timings)
- सुबह : 5:00 बजे से 12:00 बजे तक
- शाम : 4:00 बजे से 9:00 बजे तक
- नवरात्रि, दीपावली और विशेष पर्वों पर मंदिर का समय बढ़ा दिया जाता है।
गढ़कालिका मंदिर में होने वाले उत्सव
नवरात्रि महोत्सव – यहाँ 9 दिन तक विशेष पूजन, दुर्गा सप्तशती पाठ और भंडारे का आयोजन होता है।
कालिदास समारोह – महाकवि कालिदास की स्मृति में प्रतिवर्ष उज्जैन में यह कार्यक्रम होता है, जिसमें गढ़कालिका मंदिर का विशेष महत्व रहता है।
महाशिवरात्रि और दीपावली – इन पर्वों पर भी मंदिर में विशेष सजावट और आयोजन किए जाते हैं।
गढ़ कालिका मंदिर में घूमने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Garh Kalika Mata Mandir Ujjain)
गढ़ कालिका मंदिर (Garh Kalika Mandir) में घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का माना जाता है। आप यहां पर अक्टूबर के मार्च के समय में जाकर आराम से घूम सकते हैं। आप पर्यटन के लिए आ रहे हैं, तो इस समय आ सकते हैं। अगर आप धार्मिक महत्व से घूमना चाहते हैं, तो आप यहां पर नवरात्रि के समय घूमने के लिए आ सकते हैं। नवरात्रि का समय मंदिर में घूमने के लिए शुभ माना जाता है।
गढ़कालिका मंदिर कहां स्थित है (Where is Shri Gadkalika Temple)
श्री गढ़कालिका मंदिर उज्जैन (Garh Kalika Mandir Ujjain)का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर उज्जैन में भर्तृहरि गुफा की ओर जाने वाले रास्ते में स्थित है। यह मंदिर मुख्य सड़क में स्थित है और इस मंदिर में कार और बाइक से आराम से जाया जा सकता है। मंदिर के बाहर पार्किंग के लिए जगह है। मंदिर के बाहर बहुत सारी दुकानें हैं, जहां पर आपको खाने पीने की बहुत सारी वस्तुएं मिल जाती है।
गढ़कालिका मंदिर की गूगल मैप लोकेशन
गढ़कालिका मंदिर कैसे पहुँचे (How to reach Gadkalika Temple)
सड़क मार्ग (By Road)
उज्जैन मध्यप्रदेश का प्रमुख शहर है और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
- इंदौर से दूरी → 55 किमी
- भोपाल से दूरी → 190 किमी
- ओंकारेश्वर से दूरी → 140 किमी
रेल मार्ग (By Train)
- उज्जैन जंक्शन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 6 किमी दूर है।
- यहाँ से ऑटो, टैक्सी और लोकल बसों की सुविधा आसानी से उपलब्ध है।
हवाई मार्ग (By Air)
- निकटतम एयरपोर्ट → देवी अहिल्या बाई होलकर एयरपोर्ट, इंदौर (60 किमी)
- एयरपोर्ट से टैक्सी और बसों द्वारा मंदिर पहुँचा जा सकता है।
आसपास घूमने की जगहें
गढ़कालिका मंदिर (Garh Kalika Mandir) आने वाले श्रद्धालु आसपास के अन्य धार्मिक स्थलों का भी दर्शन करते हैं।
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – लगभग 5 किमी दूर।
- हरसिद्धि माता मंदिर – उज्जैन का प्रसिद्ध शक्ति पीठ।
- रामघाट (क्षिप्रा नदी) – पवित्र स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र।
- काल भैरव मंदिर – भैरव साधना के लिए विश्वप्रसिद्ध मंदिर।
- चिंतामन गणेश मंदिर – प्राचीन गणेश मंदिर, उज्जैन की पहचान।
- वीर दुर्गादास जी की छतरी – प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल।
यात्रा टिप्स (Travel Tips)
- मंदिर में सुबह जल्दी दर्शन करने पर भीड़ से बच सकते हैं।
- नवरात्रि और शनिवार-रविवार को श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक रहती है।
- मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति सीमित होती है, इसलिए नियमों का पालन करें।
- पास में ठहरने के लिए उज्जैन शहर में बजट और लक्ज़री होटल उपलब्ध हैं।
- यदि आप धार्मिक यात्रा कर रहे हैं तो इसे महाकालेश्वर दर्शन के साथ जोड़ सकते हैं।
FAQs – श्री गढ़ कालिका मंदिर उज्जैन (Shri Garh Kalika Mandir Ujjain)(अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्र. गढ़कालिका मंदिर कहाँ स्थित है?
उत्तर: गढ़कालिका मंदिर उज्जैन (मध्यप्रदेश) में स्थित है, जो शहर के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
प्र. गढ़कालिका मंदिर का निर्माण किसने कराया था?
उत्तर: मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था और समय-समय पर कई राजाओं ने इसका जीर्णोद्धार कराया, खासकर परमार वंश के शासकों ने।
प्र. गढ़कालिका मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह मंदिर देवी कालिका को समर्पित है और शक्ति साधना के लिए प्रसिद्ध है। महाकवि कालिदास भी माता कालिका के परम भक्त थे।
प्र. गढ़कालिका मंदिर में कब जाना सबसे अच्छा है?
उत्तर: नवरात्रि और दीपावली के समय यहाँ विशेष आयोजन होते हैं। हालांकि, सालभर मंदिर दर्शन के लिए खुला रहता है।
निष्कर्ष
गढ़कालिका मंदिर (Garh Kalika Mandir) न केवल उज्जैन का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर भी है। इसकी पौराणिक मान्यता, कालिदास से जुड़ी कथा और यहाँ की दिव्यता श्रद्धालुओं को विशेष अनुभव कराती है। अगर आप उज्जैन यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ गढ़कालिका मंदिर के दर्शन अवश्य करें।
