धार का किला – मालवा की शान और ऐतिहासिक धरोहर
मध्यप्रदेश का धार जिला ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। धार जिले के मध्य में स्थित धार का किला (Dhar Fort) मालवा की वीरता, स्थापत्य और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह किला कई राजवंशों के गौरव, संघर्ष और सत्ता परिवर्तन का भी साक्षी रहा है। धार का किला ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ है और अपने विशाल क्षेत्र, मजबूत प्राचीर और कलात्मक दरवाजों के कारण विशेष पहचान रखता है। धार का किला पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
धार किले की यात्रा (Dhar Fort Trip)
धार किले की यात्रा के लिए आपको सबसे पहले धार जिले में आना पड़ता है। धार जिला इंदौर शहर के पास, 65 किलोमीटर दूर स्थित है। धार से इंदौर अहमदाबाद हाईवे रोड गुजरता है। धार में आसानी से पहुंचा जा सकता है। आप यहां पर अपनी बाइक और कार से आराम से आ सकते हैं। आप यहां पर बस के द्वारा भी आ सकते हैं।
धार का किला, धार मुख्य शहर में घोड़ा चौराहे के पास में स्थित है। यहां पर पहुंचने के लिए पक्की सड़क मार्ग है। यह किला ऊंचाई पर बना हुआ है, इसलिए किले तक पहुंचाने का, जो रास्ता है। वह चढ़ाई वाला है। आप यहां पर अपनी कार या बाइक लेकर आराम से किले के ऊपर तक जा सकते हैं। धार किला बाहर से देखने में बहुत ही भव्य और शानदार लगता है। किले में अंदर जाने के लिए अच्छा रास्ता है। किले के बड़े-बड़े बुर्ज बहुत ही आकर्षक लगते हैं।
धार का किला (Dhar Fort) बस स्टैंड से करीब 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप धार सिटी बस से आते हैं, तो बस से उतरकर आपको कुछ दूरी तक चलना पड़ता है या आप किले में पहुंचने के लिए ऑटो भी ले सकते हैं। किले में प्रवेश करने के लिए सुंदर प्रवेश द्वार बना हुआ है जो विशाल और प्राचीन है।
धार किले (Dhar Fort) में प्रवेश करने के रास्ते पर, हनुमान जी का मंदिर देखने के लिए मिलता है, जिसे बाबा की हवेली के नाम से जाना जाता है और इस मंदिर में हनुमान जी के बाल स्वरूप के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। किले में आप आगे जाएंगे, तो आपके यहां पर दीवारों पर, श्री राम, माता सीता जी की सुंदर पेंटिंग भी देखने के लिए मिलती है। किले के अंदर जाने पर एक प्राचीन दरवाजा देखने के लिए मिलता है, जिससे अंदर जाने के बाद आप किले के परिसर में प्रवेश कर जाते हैं।
धार किला (Dhar Fort) बहुत बड़े एरिया में फैला हुआ है, मगर इस किले का सही तरीके से गवर्नमेंट ध्यान नहीं दे रही है। जिससे यह किला धीरे-धीरे खंडहर में परिवर्तित हो रहा है। यहां पर चारों तरफ बड़ी-बड़ी झाड़ियां देखने के लिए मिलती है। धार किले में प्रवेश कर, आप पहले एंट्री टिकट ले सकते हैं और उसके बाद किले की अन्य जगहों में घूम सकते हैं। किले में घूमने के लिए ढेर सारी जगह है, जहां पर जाकर आप किले को देख सकते हैं।
धार किले परिसर में खरबूजा महल और शीश महल बहुत ही सुंदर है और यह महल देखने लायक है। आप इन महल को देख सकते हैं और उनके इतिहास को पढ़ सकते हैं। धार किले की उतरी दीवार की ओर खरबूजा महल बना हुआ है। यह महल दीवार के कोने में बना हुआ है। इस महल से धार शहर का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। दूर-दूर तक फैला हुआ धार शहर का दृश्य बहुत ही आकर्षक लगता है।
खरबूजा महल का नाम इसके विशेष आकार के कारण रखा गया है। इस महल का आकार खरबूजे के समान था, इसलिए इस महल को खरबूजा महल कहा जाता था। इस महल का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है। महल के आस-पास सुंदर छतरियां बनी हुई है, जो देखने लायक है।
यहां पर आप अपनी फोटोग्राफी भी कर सकते हैं। फोटोग्राफी के लिए यह जगह बढ़िया है। खरबूजा महल देखने के बाद, आप यहां पर शीश महल देख सकते हैं, जो बहुत खूबसूरत है। यहां पर बहुत बड़े-बड़े पेड़ पौधे लगे हुए हैं। इन महल को देखने के बाद आप धार किले के अंदर स्थित पुरातत्व संग्रहालय को देख सकते हैं। धार किले के अंदर जिला पुरातत्व संग्रहालय बना हुआ है, जहां पर ढेर सारी प्राचीन मूर्तियों का संग्रह देखने के लिए मिलता है।
संग्रहालय के भीतर और बाहर ढेर सारी प्राचीन मूर्तियां हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं। यह मूर्तियां 9वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी तक की है। यह सभी मूर्तियां बहुत ही सुंदर हैं और इनका संरक्षण अच्छी तरह से करके रखा गया है। इसके अलावा आपके यहां पर और भी पुरानी इनफॉरमेशन मिलती है, जिन्हें आप यहां पर पढ़ सकते हैं।
धार किले (Dhar Fort) के अंदर एक प्राचीन बावड़ी बनी है, जो बहुत सुंदर है और इस बावड़ी के किनारे नीचे जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। बरसात के समय यह बावड़ी पूरी तरह पानी से भर जाती है। धार किले में आप यह सारी जगह देख सकते हैं और यहां पर अच्छा समय बिता सकते हैं। यह किला आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक है। धार शहर में घूमने के लिए और भी बहुत सारे स्थान है। धार किले में घूमने के बाद आप उन स्थानों की सैर कर सकते हैं।
धार दुर्ग (किले) का इतिहास (Dhar Fort History)
परमार राजा भोज देव के समय यह किला धारागिरी लीलोदयान के नाम से प्रसिद्ध था। परिवर्ती परमार के समय इस किले का दुर्गीकरण किया गया तथा 13वीं सदी ईस्वी के उत्तरार्ध में परमार प्रधानमंत्री गोगा चौहान के नेतृत्व में यह सैन्य केंद्र रहा है। 1305 ईसवी में अलादीन खिलजी के समय आईनुल मुल्क मुल्तानी ने प्रवेश द्वार तोड़कर दुर्ग पर कब्जा कर लिया तथा इसी ने पुनः इसे बनवाकर दुर्गीकरण पूर्ण किया।
धार दुर्ग में एक परमार कालीन बावड़ी भी है, जिसके ऊपर ही भित्ति सुल्तानों के समय निर्मित की गई है। दुर्ग में स्थित आवासीय भवन तथा शीशमहल सप्त कोठी का निर्माण सुल्तानों मुगलों के समय हुआ। अनेक वीरों का यह निवास स्थान रहा। इसमें प्रमुख है – दिल्ली सल्तनत का प्रथम गवर्नर आईनुल मुल्क मुल्तानी मलिक काफूर, मोहम्मद बिन तुगलक का सूबेदार अजीज खाम्बर आदि।
स्वयं मोहम्मद बिन तुगलक 1346 ईस्वी में शीश महल में कुछ समय रुका था। 1406 ईस्वी में होशंगशाह ने माण्डव को अपनी राजधानी बना लेने के पश्चात, यह दुर्ग से सैन्य कार्यों में उपयोगी रहा। मराठों के आगमन के बाद, यह दुर्ग पवार के अधीन रहा। इस दौरान खरबूजा महल का निर्माण हुआ। इसी दौरान किले में निर्माण व मरम्मत कार्य भी हुए। पेशवा रघुनाथ राव की पत्नी आनंदीबाई गर्भावस्था के दौरान यहां पर रही थी तथा 1774 में एक पुत्र को जन्म दिया, जो बाजीराव पेशवा द्वितीय के नाम से जाना गया।
खरबूजा महल का इतिहास और जानकारी
धार किले (Dhar Fort) के अंदर परिसर में उत्तरी दिवार पर खरबूजा महल बना है। यह महल पूर्वाभिमुख है। इस महल का आकार पूर्व में खरबूजे की तरह था, इसलिए इस महल का नाम खरबूजा महल पड़ा। यह महल दो मंजिला है और इसमें लघु कक्ष हैं। इस महल की संरचना मुगलकालीन स्थापत्य शैली में तैयार किया गया है, परंतु कहीं-कहीं पर राजपूताना शैली का प्रभाव भी दिखाई देता है।
मराठा सेनापति राधोबा दादा पुणे से भागने पर, सन 1773 ईस्वी में इस किले परिसर में ठहरे थे जो पेशवा माधवराव प्रथम के काका श्री थे। पेशवा रघुनाथराव प्रथम की पत्नी आनंदीबाई ने यहां पर 24 जनवरी सन 1774 को एक शिशु को जन्म दिया, जो बाद में पेशवा बाजीराव द्वितीय के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। महल के लघु शिखर, मेहराबदार प्रवेश द्वार, जालीय आदि देखने लायक है।
शीश महल किले का इतिहास एवं जानकारी
धार किला (Dhar Fort) परिसर के अंदर उत्तरी दीवार की दिशा में शीश महल निर्मित किया गया है। यह महल दो मंजिला है, जिसके चारों ओर लघु कक्ष है। ऊपर छत पर वर्गाकार मेहराबदार शिखर बने हुए हैं। महल का मेहराबदार स्तंभों पर आधारित प्रवेश द्वार, महल के पूर्वी भाग के अंदर नीचे विशाल हॉल, इसके अतिरिक्त मेहराबदार प्रवेश द्वार के लघु कक्ष आदि निर्मित है।
इस महल का निर्माण दिल्ली सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा ईशवीं सन 1326 से 1351 के बीच में करवाया गया था। मोहम्मद बिन तुगलक ने दौलताबाद से दिल्ली लौटते समय अपने शिविर धार में लगाया था। उस समय शाही निवास के लिए इस महल का निर्माण कार्य कराया गया था। इसी के साथ किला धार की जीर्ण शीर्ण दुर्ग प्रकार व भित्तियों का मरम्मत कार्य भी करवाया गया था।
धार का किला किसने बनवाया था (Who built Dhar Fort)
धार का किला (Dhar Fort) परमार राजा भोज के द्वारा बनवाया गया था। फिर इस किले में बहुत सारे शासकों ने राज्य किया और इस इस किले का पुनर्निर्माण करते गए। 13 वी शताब्दी में अलाउददीन खिलजी के समय इस किले का पुनर्निर्माण किया गया। यहां पर मराठा शासकों के द्वारा भी कुछ निर्माण और मरम्मत कार्य किए गए हैं।
धार किले का प्रवेश शुल्क (Dhar Fort Entry Fee)
धार के किले (Dhar Fort) में प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है। यहां पर भारतीय एक व्यक्ति का 10 रुपए लिया जाता है। विदेशी एक व्यक्ति का 100 रुपए लिया जाता है। कैमरे से फोटो खींचने का भी चार्ज लिया जाता है। कैमरे का 100 रुपए और वीडियो कैमरे का 200 रुपए लिया जाता है।
धार किला की टाइमिंग (Dhar Fort Timings)
धार किला (Dhar Fort) सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता है। पर्यटक एवं स्थानीय लोग यहां पर 10:00 से 5:00 बजे के बीच कभी भी घूमने के लिए आ सकते हैं।
धार किले की स्थापत्य कला
धार किला स्थापत्य की दृष्टि से बेहद अद्वितीय है। इसमें हिंदू और अफगानी स्थापत्य शैली का संगम देखने को मिलता है।
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प्राचीर और दरवाजे
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किले की प्राचीर लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं।
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विशाल दरवाजों पर सुंदर नक्काशी की गई है।
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तोपखाना और दीवारें
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किले की मोटी दीवारें सामरिक दृष्टि से बनाई गई थीं।
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यहाँ पर तोपखाने और सुरक्षा प्रबंध किए गए थे।
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किले के भीतर धार्मिक संरचनाएँ
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किले के अंदर कमाल मौलाना मस्जिद स्थित है।
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यहाँ प्राचीन शिव मंदिर और अन्य मंदिरों के अवशेष भी पाए जाते हैं।
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झील और तालाब
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किले परिसर में जल प्रबंधन के लिए तालाब और कुंड बनाए गए थे।
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यह उस समय की उन्नत जल प्रणाली का प्रमाण है।
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धार किला की फोटो (Dhar Fort Photos)


धार किले की विशेषताएँ
- मजबूत प्राचीर और झुकी हुई दीवारें – जो दुश्मनों से सुरक्षा के लिए बनी थीं।
- धार्मिक महत्व – यहाँ मंदिर और मस्जिद दोनों हैं, जो इसे सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक बनाते हैं।
- ऐतिहासिक महत्व – यह किला परमार वंश, अफगान शासकों और मुगलों के इतिहास को समेटे हुए है।
- प्राकृतिक सौंदर्य – किले से आसपास का सुंदर नज़ारा दिखाई देता है।
धार किले से जुड़ी कहानियाँ और किंवदंतियाँ
- कहा जाता है कि राजा भोज ने इसी किले से मालवा पर शासन किया था और यहाँ उन्होंने विद्वानों को संरक्षण दिया।
- कुछ मान्यताओं के अनुसार, किले में छिपे खजाने और गुप्त सुरंगों की कहानियाँ प्रचलित हैं।
- स्थानीय लोग किले को शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं।
धार किला घूमने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit Dhar Fort)
धार किले (Dhar Fort) में घूमने का सबसे अच्छा समय ठंड का रहता है। आप यहां पर अक्टूबर से मार्च की माह में घूमने के लिए आ सकते हैं। इस समय मौसम सुहावना और ठंडा रहता है, जिससे घूमने में कोई भी दिक्कत नहीं होती है। आप यहां इस समय जाकर अपना अच्छा और शांतिपूर्ण समय बिता सकते हैं।
मानसून के समय किला हरियाली से घिर जाता है। मानसून के समय किले में चारों तरफ हरियाली देखने के लिए मिलती है। यहां पर पेड़ पौधेलगे हुए हैं, जो इस जगह को और भी ज्यादा आकर्षक बनाते हैं। गर्मियों के समय मौसम बहुत ही गर्म होता है, जिससे घूमने में परेशानी होती है। इसलिए गर्मियां यहां घूमने के लिए अच्छी नहीं है।
धार का किला कहां पर स्थित है (Where is Dhar Fort)
धार का किला (Dhar Fort), धार जिले का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह किला मुख्य धार जिले में स्थित है। यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। यह किला घोडा चौपाटी चौरहा के पास में ही स्थित है। घोडा चौपाटी चौरहा से यह किला करीब 1 किलोमीटर दूर होगा। इस किले तक जाने के लिए पक्की सड़क उपलब्ध है। इस किले तक कार और बाइक से आसानी से जाया जा सकता है। स्कूटी में जाने से परेशानी हो सकती है। किले के अंदर पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है। किले में निशुल्क पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है।
धार किले की गूगल मैप लोकेशन
धार किले तक कैसे पहुँचे (How to reach Dhar Fort)
- हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (65 किमी) है।
- रेल मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन इंदौर और डॉ. आंबेडकर नगर (म्हो) हैं।
- सड़क मार्ग – धार शहर इंदौर, उज्जैन और मांडू से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
धार किले के पास घूमने योग्य स्थल (Things to do near Dhar Fort)
- मांडू – जहाज़ महल, रूपमती महल, हिंडोला महल (34 किमी)।
- बाघ गुफाएँ – बौद्ध गुफाएँ (97 किमी)।
- इंदौर – राजवाड़ा, लाल बाग पैलेस (65 किमी)।
- ओंकारेश्वर – पवित्र ज्योतिर्लिंग मंदिर (95 किमी)।
- उज्जैन – महाकालेश्वर मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, रामघाट और अन्य स्थल।
धार किला यात्रा सुझाव (Travel Tips)
- आरामदायक जूते पहनें क्योंकि किले में पैदल घूमना पड़ता है।
- सुबह या शाम का समय घूमने के लिए सबसे अच्छा है।
- स्थानीय गाइड लें ताकि इतिहास और कहानियाँ अच्छे से समझ सकें।
- पानी और हल्का नाश्ता साथ रखें।
- ऐतिहासिक धरोहर की सुरक्षा का ध्यान रखें और स्वच्छता बनाए रखें।
निष्कर्ष
धार का किला (Dhar Fort) मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनमोल प्रतीक है। यह केवल एक दुर्ग नहीं बल्कि कई राजवंशों की कहानियों, धार्मिक समन्वय और स्थापत्य कला की अद्भुत झलक प्रस्तुत करता है।
यदि आप इतिहास, स्थापत्य और संस्कृति से प्रेम करते हैं तो धार का किला आपकी यात्रा सूची में अवश्य होना चाहिए। यहाँ आकर आप मध्यप्रदेश के गौरवशाली अतीत को करीब से महसूस कर पाएँगे।
