Amazing Veer Durgadas Ki Chhatri Ujjain: उज्जैन की दुर्गादास छतरी – वीरता और इतिहास की पहचान

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दुर्गादास की छतरी उज्जैन – इतिहास, महत्व और यात्रा गाइड

वीर दुर्गादास जी की छतरी (Veer Durgadas Ki Chhatri) वीरता और साहस का प्रतीक है। यह छतरी उज्जैन के एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। वीर दुर्गादास जी की छतरी उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे बनी हुई है। उज्जैन शहर अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, मगर उज्जैन शहर में ऐतिहासिक स्थल भी हैं, जो उज्जैन शहर को खास बनाते हैं।

इन्हीं स्थलों में वीर दुर्गा दास की छतरी (Veer Durgadas Ki Chhatri) एक महत्वपूर्ण जगह में से एक है, जहां पर आपको नमन करना चाहिए। यहां पर एक सुंदर स्मारक बनाई गई है। यह छतरी न केवल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह राजस्थान और मालवा के ऐतिहासिक संबंधों की भी गवाही देती है।

वीर दुर्गादास जी की छतरी के दर्शन या यात्रा (Trip of Veer Durgadas Chhatri)

आप उज्जैन शहर में आते हैं, तो आपको वीर दुर्गा दास जी की छतरी (Veer Durgadas Ki Chhatri) में जरूर यात्रा करनी चाहिए। उज्जैन में अगर आप मंदिरों की यात्रा करते हैं। अगर आपको उज्जैन में ऐतिहासिक स्थल देखने हैं, तो आप वीर दुर्गा दास जी छतरी की यात्रा जरूर करना, क्योंकि यह स्थल बहुत सुंदर है और यहां पर आकर आप वीर दुर्गादास जी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

वीर दुर्गादास जी की छतरी उज्जैन शहर में शिप्रा नदी के किनारे बना हुआ एक मुख्य स्थान है, जहां पर जाकर आपको छतरी, सुन्दर गार्डन और शिप्रा नदी का घाट देखने मिलता है। इस छतरी की बनावट बहुत ही सुंदर है। इस छतरी से शिप्रा नदी और आस-पास के दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। इस छतरी के पास पर सुंदर बगीचा बना हुआ है, जहां पर आपको कुछ समय बैठ सकते हैं और अच्छा अनुभव कर सकते हैं।

गढ़ कालिका मंदिर जाने वाले रास्ते में वीर दुर्गा दास जी की छतरी (Veer Durgadas Ki Chhatri) जाने के लिए साइन बोर्ड देखने के लिए मिलता है। उस साइन बोर्ड को फॉलो करते हुए आप छतरी की ओर जा सकते हैं। यहां पर करीब एक डेढ़ किलोमीटर का रास्ता रहता है, जो घनी बस्ती से होकर गुजरता है। यहां पर आपको गाड़ी बहुत ही धीमा चलना चाहिए, क्योंकि यहां पर थोड़ी गली सकरी है।

वीर दुर्गादास जी की छतरी में आप ऑटो से आराम से पहुंच सकते हैं। अगर आप कार और बाइक से आना चाहते हैं। तब भी यहां पर आ सकते हैं। यहां पर आने के लिए पक्का रास्ता बना हुआ है। यहां पर आपको पार्किंग के लिए बहुत बड़ी जगह मिल जाती है, जहां पर आप अपनी गाड़ी खड़ी कर सकते हैं। उसके बाद इस छतरी में घूमने के लिए जा सकते हैं। यहां पर आप दिन के समय घूमने के लिए जा सकते हैं। शाम के समय यह छतरी में प्रवेश बंद हो जाता है।

छतरी में पहुंचकर आप गाड़ी पर कर सकते हैं। छतरी के बाहर पार्किंग के लिए बहुत बड़ा स्पेस दिया गया है। छतरी में प्रवेश करते ही आपको सुंदर गार्डन और छतरी देखने के लिए मिलती है। छतरी से शिप्रा नदी का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। छतरी के नीचे साइड शिप्रा नदी बहती है, जिसमें श्मशान घाट बना हुआ है। यहां पर गार्डन में बैठने के लिए कुर्सियां बनाई गई है, जहां पर आप आराम से बैठकर आनंद उठा सकते हैं। इस जगह पर बहुत कम लोग आते हैं, ज्यादा भीड़वाड़ नहीं रहती है। इसलिए आप यहां पर जाकर आराम से बैठकर शांत वातावरण में समय बिता सकते हैं।

दुर्गादास जी की छतरी (Durgadas Ki Chhatri) एक ऊंचे मंडप पर बनी हुई है। मंडप पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। सीढ़ियां के दोनों तरफ हाथी और घोड़े की मूर्तियां बनी हुई है। मंडप के बीच में छतरी के मध्य में एक शिला लगी हुई है, जिसमें घोड़े पर सवार दुर्गा दास जी की प्रतिमा को अंकित किया गया है और उनके बारे में जानकारी लिखी हुई है। यह छतरी बहुत ही आकर्षक लगती है। छतरी के ऊपर एक बड़ा सा गुंबद बना हुआ है और फूलों की नक्काशी देखने के लिए मिलती है। आप छतरी की सुंदरता और गार्डन में कुछ समय बताने के बाद अपने आगे की यात्रा कर सकते हैं।

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वीर दुर्गादास जी का परिचय (Introduction of Veer Durgadas ji)

जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के वीर सेनापति दुर्गादास राठौर का मालवा के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। वीर दुर्गादास जीवन के अंतिम काल में उज्जैन में रहे तथा चक्रवर्ती तीर्थ के उत्तर में मरणोउपरांत उनका दाह संस्कार हुआ। राठौर दुर्गा दास जी का जन्म जिला जोधपुर में गांव सालवा में 1695 में, दिन सोमवार को हुआ था। इनके पिता महाराजा जसवंतसिंह जी (प्रथम) के यहां पर प्रधान पद पर आसीन थे और इनकी माता का नाम केल्हण भटियाणी था।

वीर दुर्गादास जी स्मृति में जोधपुर के शासक ने इस छतरी का निर्माण 18वीं शताब्दी में करवाया था। यह छतरी राजपूत शैली में बनी हुई है। यह छतरी लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई है। 1 मीटर ऊंचे वर्गाकार निर्मित चबूतरे पर यह छतरी बनाई गई है। छतरी का अधिष्ठान अष्टकोणीय है। अष्ट स्तंभों पर आधारित इस छतरी में मानव तथा देवी-देवताओं, हाथी, घोड़े, मयूर का सुंदर अंकन है।

इस छतरी पर सुंदर बेल बूटेदार नक्काशी है। चबूतरे पर सम्मुख में गणपति प्रतिमा है। दूसरे खंड में शिव, रामलीला, हनुमान, गजलक्ष्मी, का अंकन देखने के लिए मिलता है। इसी तरह अन्य खंडों में सैनिक नृत्य दृश्य, मृदंग वादक, दुर्गा, गोवर्धन, कृष्ण का अंकन, समुद्र मंथन का दृश्य, नरसिंह अवतार के दृश्य, स्त्री शिवलिंग का पूजन करते हुए, शेषशैया विष्णु का अंकन, अप्सराएं का अंकन देखने के लिए मिलती है। यह शिखर युक्त छतरी उत्तर मध्यकालीन राजपूत कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

वीर दुर्गादास की छतरी फोटो (Veer Durgadas ki Chhatri Photo)

Veer Durgadas Ki Chhatri Ujjain
वीर दुर्गादास की छतरी

Veer Durgadas Ki Chhatri Ujjain
वीर दुर्गादास की छतरी का सामने से व्यू
Veer Durgadas Ki Chhatri Ujjain
वीर दुर्गादास की छतरी में बनी सुंदर कलाकृति

दुर्गादास की छतरी का इतिहास (History of Veer Durgadas Ki Chhatri)

  • 18वीं शताब्दी में दुर्गादास राठौड़ के निधन के बाद उनकी स्मृति में यह छतरी बनवाई गई।
  • यह स्मारक मालवा के होल्कर शासकों और स्थानीय राजपूत समाज के सहयोग से निर्मित हुआ।
  • छतरी न केवल उनकी स्मृति का प्रतीक है बल्कि राजपूताना की वीरता और त्याग की गाथा भी सुनाती है।
  • समय-समय पर इसका जीर्णोद्धार भी किया गया है।

वास्तुकला की विशेषताएँ

दुर्गादास की छतरी (Veer Durgadas Ki Chhatri) स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है।

  • यह छतरी राजस्थानी और मालवी वास्तुकला शैली का मिश्रण है।
  • इसमें लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया गया है।
  • छतरी का मुख्य गुंबद आकर्षक और शिल्पकारी से युक्त है।
  • दीवारों और स्तंभों पर बारीक नक्काशी और शिल्पकला देखने लायक है।
  • परिसर में बगीचे और हरियाली इसे और भी शांतिपूर्ण बनाते हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

हालाँकि यह स्मारक मुख्य रूप से ऐतिहासिक है, लेकिन यहाँ पर राजपूतों और स्थानीय लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है।

  • यहाँ प्रतिवर्ष दुर्गादास जयंती पर विशेष आयोजन किए जाते हैं।
  • यह स्थल पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
  • स्थानीय लोग इसे शौर्य और त्याग का प्रतीक मानते हैं।

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दुर्गादास की छतरी कहां पर है – Where is the Chhatri of Durgadas

दुर्गादास की छतरी (Veer Durgadas Ki Chhatri) उज्जैन शहर का एक प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। दुर्गादास की छत्री उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे बनी हुई है। दुर्गादास की छत्री (Veer Durgadas Ki Chhatri)  में पहुंचने के लिए गढ़कालिका मंदिर की मुख्य सड़क से ही मार्ग छतरी की तरफ जाता है। यह मार्ग बस्ती से होते हुए जाता है। इस मार्ग के अंत में दुर्गादास जी की छतरी देखने के लिए मिल जाती है।

यह छतरी मुख्य मार्ग से करीब 1 या डेढ़ किलोमीटर अंदर स्थित है। अगर आप चाहे, तो दुर्गादास जी की छतरी पर रामघाट की तरफ से भी आ सकते हैं। इसके लिए आपको रामघाट से शिप्रा नदी के किनारे आगे बढ़ना पड़ता है और आपको आगे जाकर चक्र तीर्थ श्मशान मुक्तिधाम देखने के लिए मिलता है। आप घाट में अपनी गाड़ी खड़ी करके ऊपर की तरफ चढ़ाई करके दुर्गादास जी की छतरी में जा सकते हैं।

वीर दुर्गादास जी की छतरी का गूगल मैप लोकेशन

दुर्गादास की छतरी कैसे पहुंचे (How to reach Durgadas ki Chhatri)

सड़क मार्ग (By Road)

वीर दुर्गादास जी की छतरी (Veer Durgadas Ki Chhatri) मुख्य शहर में बनी हुई है। यहां पर आसानी से घूमने के लिए आया जा सकता है। आप यहां पर बाइक और कार से आराम से पहुंच सकते हैं।

  • उज्जैन मध्यप्रदेश का प्रमुख शहर है और सड़क मार्ग से इंदौर, भोपाल और अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • इंदौर से दूरी → 55 किमी
  • भोपाल से दूरी → 190 किमी

रेल मार्ग (By Train)

  • नजदीकी रेलवे स्टेशन: उज्जैन जंक्शन (लगभग 4 किमी दूर)
  • स्टेशन से ऑटो, टैक्सी या लोकल बस द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

हवाई मार्ग (By Air)

  • निकटतम एयरपोर्ट: देवी अहिल्या बाई होलकर एयरपोर्ट, इंदौर (60 किमी)
  • एयरपोर्ट से टैक्सी और बसों की सुविधा उपलब्ध है।

वीर दुर्गादास जी की छतरी में घूमने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Veer Durgadas Ji’s Chhatri)

वीर दुर्गादास जी की छतरी (Veer Durgadas Ki Chhatri) में घूमने का सबसे अच्छा समय ठंड का रहता है, क्योंकि यहां पर इस समय मौसम बहुत ही सुहावना रहता है और पर्यटन के लिए यह समय बहुत ही बढ़िया है। आप यहां पर ठंड के समय जाकर अच्छा और शांतिपूर्ण समय बिता सकते हैं। आप यहां पर गर्मी के समय भी आ सकते हैं। मगर गर्मी के समय सुबह एवं शाम के समय घूमने आए तो बेहतर होगा।

वीर दुर्गादास जी की छतरी प्रवेश समय और शुल्क (Veer Durgadas Ji’s Chhatri Entry Timings and Fees)

  • प्रवेश समय: सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
  • प्रवेश शुल्क: सामान्यतः निःशुल्क (कुछ अवसरों पर न्यूनतम शुल्क हो सकता है)

आसपास घूमने की जगहें

दुर्गादास की छतरी (Durgadas Ki Chhatri) के आसपास कई अन्य दर्शनीय स्थल भी मौजूद हैं:

  1. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – उज्जैन का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल।
  2. रामघाट (क्षिप्रा नदी) – स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध।
  3. काल भैरव मंदिर – तांत्रिक साधना का महत्वपूर्ण स्थल।
  4. गढ़कालिका मंदिर – शक्ति साधना के लिए प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर।
  5. हरसिद्धि मंदिर –  उज्जैन का प्रसिद्ध मंदिर।

यात्रा टिप्स (Travel Tips)

  • सुबह या शाम के समय छतरी घूमना बेहतर है, ताकि आप गर्मी और भीड़ से बच सकें।
  • पास में फोटोग्राफी के लिए सुंदर लोकेशन हैं, कैमरा अवश्य साथ रखें।
  • आसपास ठहरने के लिए बजट से लेकर लक्ज़री होटल उज्जैन में उपलब्ध हैं।
  • यदि आप इतिहास प्रेमी हैं तो गाइड की मदद लें, ताकि आपको इस स्मारक की कहानियाँ विस्तार से पता चल सकें।

FAQs वीर दुर्गादास जी की छतरी उज्जैन (Durgadas Ki Chhatri Ujjain)

प्र. दुर्गादास की छतरी कहाँ स्थित है?
उत्तर: दुर्गादास की छतरी उज्जैन (मध्यप्रदेश) में स्थित है।

प्र. दुर्गादास राठौड़ कौन थे?
उत्तर: दुर्गादास राठौड़ राजस्थान के प्रसिद्ध योद्धा और राष्ट्रनायक थे जिन्होंने राजपूत संस्कृति और स्वाभिमान की रक्षा की।

प्र. दुर्गादास की छतरी किसने बनवाई थी?
उत्तर: यह स्मारक 18वीं शताब्दी में उनके निधन के बाद उनकी स्मृति में निर्मित किया गया।

प्र. घूमने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
उत्तर: अक्टूबर से मार्च के बीच छतरी घूमने का सबसे अच्छा समय है।

प्र. क्या यहाँ प्रवेश शुल्क लगता है?
उत्तर: सामान्यतः प्रवेश निःशुल्क है।

निष्कर्ष

दुर्गादास की छतरी (Durgadas Ki Chhatri) उज्जैन का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्मारक है। यह वीर दुर्गादास राठौड़ की स्मृति में निर्मित है, जिन्होंने अपने पराक्रम और त्याग से भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। यदि आप उज्जैन की यात्रा पर हैं तो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के साथ-साथ इस ऐतिहासिक स्मारक को देखना न भूलें।

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