Attractive Kalinjar Kila Banda – कालिंजर किला: भारत का रहस्यमई किला की यात्रा

कालिंजर का किला: इतिहास, रहस्य और यात्रा की जानकारी

 

कालिंजर किला (Kalinjar Kila) का परिचय

कालिंजर का किला (Kalinjar ka Kila)भारत के सबसे मजबूत किलों में से एक है। कालिंजर का किला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिले में स्थित एक प्राचीन और भव्य दुर्ग है। यह किला विंध्य पर्वत श्रृंखला की पहाड़ियों पर लगभग 1200 फीट की ऊँचाई पर बसा हुआ है। तो चलिए जानते हैं, कालिंजर किले (Kalinjar Kila) के बारे में पूरी जानकारी। अगर आप यहां पर घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो कालिंजर का किला क्यूँ खास है।

भव्य कालिंजर का किला (Magnificent Kalinjar Fort)

कालिंजर किला मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित एक भव्य किला है। यह किला आसपास के पहाड़ियों, मैदान, जंगलों और गांव के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। कालिंजर किला (Kalinjar Kila) न केवल अपनी स्थापत्य कला और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारतीय इतिहास के अनेक महत्वपूर्ण युद्धों और घटनाओं का भी साक्षी रहा है।

कालिंजर का किला श्रद्धालुओं को अपनी तरह आकर्षित इसलिए करता है, क्योंकि इस किले में भगवान शिव का मंदिर बना है। भगवान शिव को यहां पर भगवान नीलकंठ के रूप में पूजा जाता है और कालिंजर किले का नाम भगवान शिव से ही प्रेरित होकर कालिंजर रखा गया है। भगवान नीलकंठ की यहां पर बहुत प्राचीन और खूबसूरत मूर्ति देखने के लिए मिलती है, जिसके बारे में अलग-अलग बातें कही जाती है।

कालिंजर किले (Kalinjar Kila) के परिसर में नीलकंठ मंदिर के अलावा और भी बहुत सारे स्थल है, जो देखने लायक है। किले की दीवार 5 मीटर चौड़ी और 5.7 किलोमीटर परिधि में है। किले की ऊंची इमारतें, किले के अंदर बने भव्य महल, तालाब, झील, संग्रहालय, मंदिर देखने लायक है। किले के अंदर की वास्तुकला अद्भुत है। किले में प्रवेश करने के लिए साथ प्रवेश द्वार हुआ करते थे, जिनमें से कुछ नष्ट हो गए हैं। किले के परिसर में बने अमन महल में विभिन्न मूर्तियां और शिलालेख को सुरक्षित रखा गया है, जो आप यहां पर जाकर देख सकते हैं।

इस तरह कालिंजर किले (Kalinjar Kila) में देखने के लिए बहुत सारी जगह है, जहां पर आप जाकर अच्छा समय बिता सकते हैं और किले के गौरवशाली इतिहास को जान सकते हैं।

कालिंजर दुर्ग की यात्रा (Kalinjar Fort Trip)

कालिंजर किले (Kalinjar Kila) की यात्रा आप चित्रकूट, पन्ना, और बांदा जिले से कर सकते हैं। बांदा जिले का अतर्रा रेलवे स्टेशन कालिंजर किला से 36 किलोमीटर दूर है। कालिंजर किला सड़क मार्ग अतर्रा से जुड़ा है। आप आसानी से यहां पर आ सकते हैं। इसके अलावा चित्रकूट से इसकी दूरी 78 किलोमीटर, बांदा से 65 किलोमीटर और पन्ना से 70 किलोमीटर है।

आप किसी भी शहर में आ सकते हैं और कालिंजर के लिए की यात्रा शुरू कर सकते हैं। कालिंजर किले (Kalinjar Kila) तक जाने के लिए अच्छा सड़क मार्ग है। कालिंजर का किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। पहाड़ी तक जाने के लिए सड़क मार्ग है। आप आराम से पहाड़ी तक पहुंच सकते हैं। उसके बाद आपको यहां पर एंट्री गेट पर टिकट लेना पड़ता है। यहां पर टिकट लेने के बाद आप किले में प्रवेश करते हैं, तो आपको एक सीधा रास्ता मिलता है जिससे आगे जाने पर अन्य स्थल मिलते है।

कालिंजर किले (Kalinjar Kila) के अंदर, मार्ग में सबसे पहला स्पॉट सीता कुंड देखने के लिए मिलता है। सीताकुंड एक प्राकृतिक कुंड है। सीताकुंड में पानी भरा रहता है और प्राचीन समय में इसका उपयोग पीने के लिए किया जाता था। सीता कुंड किले की दीवार के पास में बना हुआ है। आप सड़क से थोड़ा अंदर जाएंगे, तो आपको यह देखने के लिए मिल जाता है।

सीता कुंड को देखने के बाद, आगे जाने पर एक प्राचीन और भव्य भवन, चौबे महल देखने के लिए मिलता है। चौबे महल के पास एक सुंदर सा स्पॉट है, जहां से आप कालिंजर की दूर-दूर तक का मनोरम नजारा देख सकते हैं, जो बहुत ही सुंदर लगता है। आप यहाँ कुछ टाइम बिता सकते है फिर चौबे महल देखने जा सकते है।

चौबे महल एक सुंदर भवन है और18वीं शताब्दी में यह बना था और इसमें पीले बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। यह दो मंजिला और बहुत सुंदर भवन है। इसकी दीवारों में गजकारी का सुंदर कार्य देखने के लिए मिलता है। इसे देखने के बाद आप आगे जाते हैं, तो यहां पर कुछ कब्र देखने के लिए मिलती है। आगे बढ़ने पर विष्णु मंदिर, रानी महल देखने के लिए मिलता है।

आगे जाने पर नीलकंठ मंदिर की तरफ जाने का मार्ग देखने के लिए मिलता है। आपको इसी तरफ आगे बढ़ाना है और वहां पहुंचकर आपको पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी करनी है। उसके बाद आपके करीब 100 सीढ़ियां नीचे जाना है। 100 सीढ़ियां नीचे जाने पर आपको नीलकंठ मंदिर देखने के लिए मिलता है। नीलकंठ मंदिर कालिंजर किले के सबसे महत्वपूर्ण स्थान में से एक है।

नीलकंठ मंदिर पहुंचकर आप इस जगह को देखेंगे, तो आपको एक अलग ही अनुभव मिलेगा। नीलकंठ मंदिर में आपको एक छोटी सी गुफा देखने के लिए मिलती है, जिसके सामने एक सुंदर मंडप के अवशेष देखने मिलते है। यहां पर स्तंभ देखने के लिए मिलती है। स्तंभों के ऊपर छत नहीं बनी है, मगर नक्काशी देखी जा सकती है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है।

आप नीलकंठ मंदिर में जाएंगे, तो यहां पर छोटी सी गुफा है, जिसमें पंडित जी बैठे रहते हैं। यहां पर भगवान शिव की एक मुखी शिवलिंग है, जिसे नीलकंठ महादेव के नाम से जाना जाता है। यह शिवलिंग 1.35 मीटर ऊंचा है। गुफा में कई भित्ति चित्र बने हुए हैं। दीवार पर शिलालेख भी देखने के लिए मिलते हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण है। भगवान शिव के दर्शन करके, आप मंदिर के बाहर आ सकते हैं।

यह मंदिर आज भी पूजनीय है। यहां पर लोग दूर-दूर से भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां पर कई सारे साधु संत आते हैं। नीलकंठ मंदिर में आने लिए एक अलग से रास्ता है, जिसमें ट्रैकिंग करके आनी पड़ती है, जिसमें एंट्री शुल्क नहीं लगता है। जो भी साधु संत रहते हैं। वह इसी रास्ते से आते हैं और डायरेक्ट मंदिर में आ जाते हैं।

मंदिर के बाहर पत्थरों और चट्टानों पर विभिन्न तरह की खूबसूरत नक्काशी बनी है। यहां पर जैन संतों की मूर्तियां बनी है, जो बहुत ही खूबसूरती से चट्टानों पर उकेरकर बनाई गई है और यहां पर भगवान शिव का शिवलिंग को चट्टान पर बना है, जो देखने में बहुत सुंदर लगता है। इसके अलावा यहां पर भैरव भगवान जी की बहुत विशाल प्रतिमा बनी हुई है, जो बहुत ही आकर्षण का केंद्र है और लोगों को अपनी तरह आकर्षित करती है। यहां प्रतिमा 7 या 9 फीट की होगी।

इसके अलावा यहां पर आकर्षण का एक और केंद्र है। वह मंदिर के ऊपर बना हुआ प्राकृतिक तालाब। मंदिर के ऊपर एक प्राकृतिक तालाब है, जिसमें चट्टानों से पानी रिसकर, तालाब में गिरता है। आप उसे भी देख सकते हैं। इस पानी का उपयोग पीने के लिए किया जाता है। यहां पर ढेर सारे बंदर है। आपको बंदर से संभाल कर रहना चाहिए। आप यहां पर कुछ अच्छा टाइम बिता सकते हैं। यहां बहुत शांति है।

उसके बाद आप कालिंजर किले (Kalinjar Kila) अन्य जगहों पर घूमने के लिए जा सकते हैं। कालिंजर किले (Kalinjar Kila) में ढेर सारी जलाशय बने हुए हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं, जो बरसात के समय पूरी तरह पानी से भर जाती हैं और खूबसूरत लगते हैं। वैसे बरसात के समय यह जगह भी खूबसूरत लगती है। बरसात में यहां पर चारों तरफ हरियाली देखी जा सकती है।

कालिंजर किले (Kalinjar Kila) के एक और फेमस स्पॉट राजा अमान सिंह महल है। राजा अमन सिंह महल को भी आप जरूर देखें। यह महल बहुत खूबसूरत है और महल के आस-पास घूमने के लिए ढेर सारे स्थान है, जहां पर आप घूम सकते हैं। यहां पर एक बड़ा सा तालाब बना हुआ है, जिसे कोटि तीर्थ के नाम से जानते हैं। कोटि तीर्थ के पास में ही एक बड़ा सा बरगद का पेड़ लगा हुआ है, जहां पर ढेर सारे बंदर रहते हैं। यहां पर भगवान शिव के शिवलिंग के दर्शन होते हैं।

यहां पर शिवलिंग पेड़ के नीचे विराजमान है। इसके अलावा इस तालाब के किनारे एक मंदिर बना हुआ है, जो शिव भगवान जी को समर्पित है। बरसात में तालाब पानी से भर जाता है। तालाब के एक तरफ सीढ़ियां बनी हुई है। तालाब के किनारे शिव जी का एक छोटा सा मंदिर भी बना हुआ है, जहां पर काले रंग का शिवलिंग विराजमान है। यहां पर एक छोटी सी मस्जिद भी बनी हुई है। आप अमन सिंह महल में जा सकते हैं, जहां पर संग्रहालय देखने के लिए मिलता है। यहां पर प्राचीन मूर्तियां और शिलालेख का कलेक्शन है, जिन्हें आप देख सकते हैं।

अमन महल घूमने के बाद, आप वापस आने वाले रास्ते में एक छोटा सा तालाब देखने के लिए मिलता है। तालाब के पास से एक रास्ता गया है, जहां पर रंग महल, मोती महल, राजा परमार की हवेली बनी है। यहां पर एक और कच्चा रास्ता अंदर की तरफ गया है, जहां पर एक और सुंदर तालाब की संरचना देखने के लिए मिलती है और महल की संरचना देखने के लिए मिलती है।

इस तरह आप कालिंजर किले के सभी दर्शनीय स्थलों को घूम सकते हैं। दर्शनीय स्थलों को घूमने में करीब 4 से 5 घंटे लग जाते हैं, क्योंकि यहां पर काफी दूरी पैदल ही चल कर जानी पड़ती है। बाकी कालिंजर किला (Kalinjar Kila) में एक जगह से दूसरी जगह में ट्रैवल करने के लिए रास्ते बने हुए हैं, जिनसे आप अपने गाड़ी से आराम से ट्रेवल कर सकते हैं। मगर किले के आसपास का एरिया घूमने के लिए पैदल जाना पड़ता है।

कालिंजर का मतलब (अर्थ)

कालिंजर’ शब्द का अर्थ है – काल पर विजय प्राप्त करने वाला
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने यहीं विषपान के बाद काल को परास्त किया था। इसी कारण इस स्थान का नाम कालिंजर पड़ा। यह नाम केवल किले की पहचान नहीं है, बल्कि इसकी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता को भी दर्शाता है।

कालिंजर किला कहां पर है (Where is Kalinjar Fort)

कालिंजर किला (Kalinjar Kila) उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा ज़िले में स्थित है। यह किला विंध्य पर्वतमाला की पहाड़ियों पर बसा हुआ है और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।

  • बांदा शहर से इसकी दूरी लगभग 70 किलोमीटर है।
  • खजुराहो से लगभग 130 किलोमीटर दूर है।
  • यह किला समुद्र तल से करीब 1200 फीट ऊँचाई पर बना है।

कालिंजर किला की गूगल मैप लोकेशन

कालिंजर किला की अन्य शहरों से दूरी (Distance of Kalinjar Fort from other cities)

  • बांदा से कालिंजर किला की दूरी (Banda to Kalinjar fort distance) → लगभग 70 किमी
  • सतना से कालिंजर किला की दूरी (Satna to Kalinjar fort distance) → लगभग 105 किमी
  • पन्ना से कालिंजर किला की दूरी (Panna to Kalinjar fort distance) → लगभग 90 किमी
  • मैहर से कालिंजर किला की दूरी (Maihar to Kalinjar fort distance) → लगभग 125 किमी
  • चित्रकूट से कालिंजर किला की दूरी (Chitrakoot to Kalinjar fort distance) → लगभग 65 किमी
  • जबलपुर से कालिंजर किला की दूरी (Jabalpur to Kalinjar fort distance)  → लगभग 195 किमी
  • भोपाल से कालिंजर किला की दूरी (Bhopal to Kalinjar fort distance) → लगभग 375 किमी

ये दूरी अनुमानित है और आपके चुने हुए रूट पर थोड़ा बहुत अंतर आ सकता है।

कालिंजर का राजा कौन था (Who was the king of Kalinjar)

इतिहास के विभिन्न कालखंडों में कालिंजर किले (Kalinjar Kila) पर अलग-अलग राजाओं का शासन रहा।

  • गुप्त काल में यह किला महत्त्वपूर्ण केंद्र था।
  • 9वीं–10वीं शताब्दी में चंदेल वंश के राजाओं ने इस पर शासन किया।
  • बुंदेला और सेनाओं के बीच भी कई बार यह किला संघर्ष का कारण बना।
  • प्रसिद्ध चंदेल शासक यशोवर्मन और कीर्तिवर्मन से यह किला जुड़ा हुआ है।

कालिंजर का किला किसने बनवाया था (Who built the Kalinjar Fort)

कालिंजर किले (Kalinjar Kila) की नींव प्राचीन काल में डाली गई थी, लेकिन इसका मुख्य विकास और विस्तार चंदेल वंश के राजाओं ने किया। चंदेलों ने इसे एक मजबूत दुर्ग, धार्मिक स्थल और प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित किया।

कालिंजर का रहस्य (Kalinjar Fort Mystery)

कालिंजर किला (Kalinjar Kila) अपने अंदर अनेक रहस्यों को समेटे हुए है:

  • गुप्त सुरंगें और तहखाने – किले में आज भी कुछ रहस्यमयी गुफाएँ और बंद सुरंगें मौजूद हैं।
  • शिव की अनूठी प्रतिमा – नीलकंठ महादेव का मंदिर, जो किले के भीतर स्थित है, अपने आप में अद्भुत है।
  • कभी न जीता जा सकने वाला किला – कहा जाता है कि इस किले को जीतना बेहद कठिन था।

कालिंजर अभियान (Wars of Kalinjar)

इतिहास में कालिंजर किला (Kalinjar Kila) कई बड़े युद्धों का गवाह रहा है।

  • 1023 ई. में महमूद गजनवी ने इस किले पर हमला किया, लेकिन सफल नहीं हुआ।
  • 1545 ई. में शेरशाह सूरी ने कालिंजर को जीतने का प्रयास किया, लेकिन तोप के धमाके में उसकी मृत्यु हो गई।
  • मुगल शासक हुमायूँ और अकबर के समय भी यह किला राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा।

कालिंजर का युद्ध (Battle of Kalinjar)

1545 ईस्वी में शेरशाह सूरी और चंदेल राजा के बीच सबसे प्रसिद्ध युद्ध हुआ। शेरशाह ने किले पर कब्जा करने की कोशिश की। युद्ध के दौरान एक बारूद की तोप फट गई और शेरशाह गंभीर रूप से घायल हो गया। इसी कारण कुछ ही समय बाद उसकी मृत्यु हो गई। यह युद्ध भारतीय इतिहास में “कालिंजर युद्ध” के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

कालिंजर किले के अंदर घूमने की जगह (Places to visit inside Kalinjar Fort)

  1. नीलकंठ महादेव मंदिर – नीलकंठ महादेव मंदिर कालिंजर किले के अंदर घूमने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह मंदिर भगवान नीलकंठ के लिए और चट्टानों पर बनी विभिन्न तरह की खूबसूरत मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
  2. तालाब और बावड़ियाँ – कालिंजर किले में जल प्रबंधन के लिए बहुत सारी बावड़िया और तालाब बनी हुई है, जिन्हें आप देख सकते हैं।
  3. गुप्त सुरंगें और प्राचीन द्वार – कालिंजर किले में प्रवेश करने के लिए साथ द्वार बने हुए हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं। कालिंजर किले में गुप्त सुरंगें हैं, जिन्हें गवर्नमेंट के द्वारा बंद कर दिया गया है।
  4. मूर्तिकला और शिलालेख – यहां पर दसवीं शताब्दी की मूर्तियां देखने के लिए मिल जाती है। मूर्तियां और शिलालेख का कलेक्शन संग्रहालय में देखने के लिए मिलता है।
  5. खूबसूरत महलकालिंजर किले (Kalinjar Kila) के अंदर ढेर सारे महल बने हुए हैं। यहां चौबे महल, मोती महल, रंग महल, रानी महल जैसे बहुत सारे सुंदर महल बने हुए हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं।

कालिंजर किला में घूमने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit Kalinjar Fort)

कालिंजर किला (Kalinjar Kila) में यात्रा का सबसे अच्छा समय ठंड का माना जाता है। आप यहां पर ठंड में आकर सभी जगह घूम सकते हैं। अगर आपको प्रकृति और हरियाली देखना है, तो आप यहां बरसात के समय आ सकते हैं। बरसात के समय यहां पर चारों तरफ हरियाली देखने के लिए मिलती है।

गर्मी के समय यहां पर आना थोड़ा कठिन हो जाता है, क्योंकि किला ऊंचाई पर बना हुआ है। चारों तरफ यहां पर चट्टानें हैं और यहां पर चट्टानों के बीच घूमना बहुत ही कठिन काम है। इसलिए गर्मियों में यहां पर आने से बचें। अगर आप गर्मी में आते हैं, तो सुबह के समय और शाम के समय आए। वह बेहतर होगा।

FAQs Section

Q1. कालिंजर का किला कहां स्थित है?
कालिंजर का किला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित है। यह बांदा से लगभग 38 किलोमीटर और खजुराहो से करीब 60 किलोमीटर दूर है।

Q2. कालिंजर का किला किसने बनवाया था?
इस किले का निर्माण प्रारंभिक काल में हुआ, लेकिन इसका विस्तार और विकास चंदेल वंश के शासकों ने करवाया।

Q3. कालिंजर का राजा कौन था?
चंदेल वंश के राजा जैसे यशोवर्मन और कीर्तिवर्मन ने इस किले पर शासन किया। बाद में यह मुगलों और शेरशाह सूरी के साथ युद्ध का केंद्र भी रहा।

Q4. कालिंजर किले (Kalinjar Kila) का रहस्य क्या है?
कहा जाता है कि यहीं भगवान शिव ने काल को परास्त किया था। यहाँ गुप्त सुरंगें, रहस्यमयी गुफाएँ और नीलकंठ महादेव मंदिर इसकी विशेषता हैं।

Q5. कालिंजर का युद्ध किससे हुआ था?
1545 ई. में शेरशाह सूरी और चंदेलों के बीच कालिंजर युद्ध हुआ। इस युद्ध में तोप फटने से शेरशाह की मृत्यु हो गई।

Q6. कालिंजर किले (Kalinjar Kila) के अंदर क्या देखने लायक है?
नीलकंठ महादेव मंदिर, प्राचीन द्वार, बावड़ियाँ, गुप्त गुफाएँ, शिलालेख और मूर्तिकला यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।

निष्कर्ष

कालिंजर किला (Kalinjar Kila) केवल एक ऐतिहासिक दुर्ग ही नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, धर्म और शौर्य का प्रतीक है। यहाँ की गुफाएँ, मंदिर, शिलालेख और युद्ध की कहानियाँ इस किले को अद्वितीय बनाती हैं।
चाहे आप इतिहास प्रेमी हों, धर्म में आस्था रखते हों या पर्यटन के शौकीन हों, कालिंजर किला आपको अवश्य ही आकर्षित करेगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top