Beautiful and Ancient Matangeshwar Temple – मतंगेश्वर मंदिर खजुराहो | इतिहास, महत्व, विशाल शिवलिंग और यात्रा गाइड

Table of Contents

मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple ) खजुराहो – भगवान शिव का प्राचीन मंदिर

मतंगेश्वर शिव मंदिर खजुराहो (Matangeswar Shiva Mandir Khajuraho) के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। मतंगेश्वर शिव मंदिर भगवान शिव के विशाल शिवलिंग के कारण प्रसिद्ध है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव का विशाल शिवलिंग है, जो इसकी भव्यता को दर्शाता है। यह मंदिर अपनी धार्मिक महत्ता और सक्रिय पूजा-पाठ के लिए जाना जाता है।

मतंगेश्वर मंदिर खूबसूरती और संरचना (Matangeswar Temple beauty and structure)

मतंगेश्वर मंदिर खजुराहो (Matangeshwar Temple Khajuraho) के प्रमुख मंदिरों में से एक है और यह खजुराहो का विशेष मंदिर है, क्योंकि यहां पर आज भी पूजा पाठ की जाती है। खजुराहो के बाकी मंदिरों में पूजा पाठ नहीं की जाती है। वह मंदिर सिर्फ पर्यटकों के लिए है, जहां पर पर्यटक जाकर मंदिरों को देख सकते हैं। मगर इस मंदिर में भक्तगण आ सकते हैं और मंदिर की पूजा कर सकते हैं।

खजुराहो के अन्य मंदिरों की तुलना में मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple) काफी ऊंचाई पर बना हुआ है। इस मंदिर की ऊंचाई अन्य मंदिरों की तुलना में बहुत अधिक है और मंदिर तक पहुंचाने के लिए सीढ़ियां बनी है। यह मंदिर बहुत अच्छी तरह से बना हुआ है। मंदिर की दीवारों में ज्यादा मूर्तियां तो नहीं बनी हुई है, मगर मंदिर खूबसूरत है।

मंदिर का सबसे मुख्य आकर्षण मंदिर के गर्भग्रह में स्थापित शिवलिंग है। यह शिवलिंग हमेशा रहस्य का विषय रहा है, क्योंकि इस शिवलिंग के बारे में कहा जाता है, कि यह शिवलिंग स्वयंभू है और कई लोगों का मानना है कि यह शिवलिंग स्थापित किया गया है। शिवलिंग की विशाल जिलहरी और बड़ा लिंग को देखकर एक अलग अनुभव होता है।

मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple) एक ऊंची चबूतरे पर बना हुआ है तथा योजना में ब्रह्मा मंदिर से समानता रखता है। यह मंदिर अंदर से वर्गाकार है तथा बाहर से क्रॉस के आकार का है एवं इसका शिखर पिरामिड नुमा है। यह मंदिर अलंकारहीन है, जो खजुराहो के विकसित मंदिरों में अपनी अलग ही स्थान रखता है। अतः यह मंदिर खजुराहो के प्राचीन मंदिरों में से एक है और इसका निर्माण 900 से 925 के मध्य किया गया था।

मतंगेश्वर मंदिर की यात्रा (Matangeshwar Temple Trip)

मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple) में आज भी पूजा हो रही है, इसलिए यहां पर जाने के लिए आपको टिकट लेने की आवश्यकता नहीं होती है। आप यहां पर जा सकते हैं और भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर पश्चिमी मंदिर समूह के कंपाउंड के बाहर बना हुआ है और लक्ष्मण मंदिर के दक्षिण की तरफ स्थित है। यह मंदिर बहुत ऊंचाई पर बना हुआ है। मंदिर में जाने के लिए सीढ़ियां बनी है।

मतंगेश्वर मंदिर के बाहर के प्रांगण में गणेश जी भगवान के और एक प्राचीन प्रतिमा देखने के लिए मिलती है, जिसे लोग भैरव बाबा की प्रतिमा कहते हैं, मगर इस प्रतिमा को भी लेकर लोगों के बीच में बहस का विषय है, कि यह प्रतिमा किसकी है, क्योंकि यह प्रतिमा इतनी क्लियर नहीं दिखाई देती है। यह प्रतिमा सिंदूरी रंग से पूरी तरह रंग गई है, जिसे कई लोग इसे हनुमान जी की मानते हैं और कई लोग इसे भैरव जी की मानते हैं।

मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple) एक ऊंचे चबूतरे में बना है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में जाने पर आपको भगवान शिव के बड़े से शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलता है। यह शिवलिंग इतना बड़ा है, कि इसकी जिलहरी में जाकर आप भगवान शिव के लिंग की पूजा कर सकते हैं, जो बहुत ही अद्भुत अनुभव होता है। बहुत सारे लोग यहां पर आते हैं और शिवलिंग की जिलहरी में चढ़कर पूजा करते हैं। उन्हें जल चढ़ाते हैं फूल चढ़ाते हैं।

पंडित जी भी जिलहरी के एक तरफ बैठे रहते हैं और वह यहीं से आपको पूजा के निर्देश देते हैं। यह मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर की छत बहुत ही आकर्षक है। यह पिरामिडनुमा है, जो खजुराहो के कई मंदिरों से भिन्न है। मंदिर के दर्शन करने के बाद आप बाहर आ सकते हैं। बाहर मंदिर की दीवारों को और मंदिर की छत को देख सकते हैं, जो अन्य मंदिरों से अलग है। आप मंदिर के बाहर कुछ देर बैठ सकते हैं और शांति का अनुभव कर सकते हैं। आप यहां पर सुबह-सुबह जा सकते हैं। सुबह-सुबह यहां पर बहुत अच्छा लगता है और यहां का माहौल भी बहुत शांत रहता है।

मतंगेश्वर मंदिर का इतिहास (Matangeswar Mandir History)

मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple) को देखकर इतिहासकारों का मानना है, कि मतंगेश्वर मंदिर खजुराहो के अन्य मंदिर से प्राचीन है, क्योंकि इस मंदिर में किसी भी तरह की मूर्ति कला नहीं है। इसलिए यह मंदिर अन्य मंदिरों से प्राचीन है। मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण 9वीं से 10वीं शताब्दी के बीच चंदेल वंश के शासकों ने कराया था। कहा जाता है कि यहाँ चंदेल शासक विद्याधर ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर राज्य की समृद्धि की कामना की थी।

मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण किसने करवाया था(Who built the Matangeswar Temple?)

मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple) का निर्माण चंदेल वंश (Chandela Dynasty) के शासक राजा धंगदेव (King Dhanga, शासनकाल: 950–1002 ईस्वी) ने करवाया था।

मतंगेश्वर मंदिर की वास्तुकला (Matangeshwar Temple Architecture)

  • मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple) अपनी सरल लेकिन भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
  • मंदिर नागर शैली (Nagara Style) में निर्मित है।
  • मंदिर के गर्भगृह में विशाल शिवलिंग स्थापित है, जिसकी ऊँचाई लगभग 8 फीट और व्यास 3 फीट है।
  • मंदिर का प्रवेश द्वार, मंडप और गर्भगृह बेहद सादगीपूर्ण हैं।
  • यह खजुराहो के अन्य मंदिरों की तुलना में कामुक मूर्तियों से रहित है, जो इसे और खास बनाता है।

मतंगेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व (Matangeshwar temple Religious significance )

  • सक्रिय पूजा स्थल – खजुराहो के अधिकांश मंदिर अब पूजा के लिए उपयोग में नहीं हैं, लेकिन मतंगेश्वर मंदिर आज भी सक्रिय मंदिर है।
  • शिवभक्तों का प्रमुख तीर्थ – यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ प्रतिदिन पूजा-पाठ, अभिषेक और आरती होती है।
  • शिवरात्रि पर विशेष आयोजन – महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ हजारों श्रद्धालु आते हैं और मंदिर परिसर में मेले का आयोजन होता है।

मतंगेश्वर मंदिर और विशाल शिवलिंग

इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण है यहाँ स्थापित विशाल शिवलिंग।

  • यह शिवलिंग लगभग 2.5 मीटर (8 फीट) ऊँचा है।
  • इसे खजुराहो का सबसे विशाल शिवलिंग माना जाता है।
  • शिवलिंग पर प्रतिदिन जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं।

मतंगेश्वर मंदिर का रहस्य  (Matangeshwar Temple Mystery)

मतंगेश्वर मंदिर (Matangeshwar Temple), खजुराहो से जुड़ी कुछ मान्यताएँ और रहस्य इसे और भी खास बनाते हैं।

1. विशाल शिवलिंग का रहस्य

  • इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण इसका 8 फीट ऊँचा और 3 फीट चौड़ा शिवलिंग है।
  • इतना विशाल शिवलिंग सामान्यतः किसी भी प्राचीन मंदिर में नहीं मिलता।
  • स्थानीय मान्यता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू (Self-Manifested) है और किसी ने इसे तराशा नहीं है।
  • आज भी यह शिवलिंग पूजित और जीवित है, जबकि खजुराहो के अन्य अधिकांश मंदिर केवल ऐतिहासिक धरोहर हैं।

2. मतंग ऋषि की कथा

  • कहा जाता है कि इस मंदिर का नाम मतंग ऋषि के नाम पर पड़ा।
  • मान्यता है कि मतंग ऋषि ने यहाँ भगवान शिव की तपस्या की थी, जिसके कारण यहाँ शिवलिंग की स्थापना हुई।
  • इसीलिए इसे “मतंगेश्वर” (मतंग ऋषि का ईश्वर) कहा जाता है।

3. कामुक मूर्तियों का अभाव

  • खजुराहो के अधिकांश मंदिरों में कामुक शिल्पकला प्रसिद्ध है, लेकिन मतंगेश्वर मंदिर इसकी अपवाद है।
  • यहाँ की दीवारों पर ऐसी मूर्तियाँ नहीं हैं, बल्कि यह मंदिर पूर्णतः धार्मिक और साधना केंद्र है।
  • यह रहस्य इसे खजुराहो के अन्य मंदिरों से अलग बनाता है।

4. सक्रिय पूजा-पाठ का रहस्य

  • खजुराहो के बाकी मंदिर आज केवल ऐतिहासिक धरोहर हैं, लेकिन मतंगेश्वर मंदिर आज भी सक्रिय पूजा स्थल है।
  • प्रतिदिन सुबह और शाम यहाँ आरती होती है।
  • महाशिवरात्रि पर यहाँ हजारों भक्त एकत्र होते हैं, और माना जाता है कि इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

5. अविनाशी शिवलिंग

  • स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह शिवलिंग कालजयी और अविनाशी है।
  • कहा जाता है कि जब तक यह शिवलिंग खड़ा है, तब तक खजुराहो और आसपास का क्षेत्र सुरक्षित रहेगा।

इस तरह, मतंगेश्वर मंदिर का रहस्य इसके विशाल शिवलिंग, मतंग ऋषि की कथा, कामुक मूर्तियों के अभाव और सक्रिय पूजा-पाठ की परंपरा से जुड़ा हुआ है।

मतंगेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि

  • हर साल महाशिवरात्रि पर मतंगेश्वर मंदिर में भव्य उत्सव मनाया जाता है।
  • हजारों श्रद्धालु यहाँ आकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
  • पूरे मंदिर परिसर में मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
  • इस अवसर पर मंदिर की रौनक और धार्मिक माहौल अद्वितीय होता है।

मतंगेश्वर मंदिर घूमने का समय (Best time to visit Matangeshwar Temple)

  • मंदिर सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
  • महाशिवरात्रि और सावन मास में यहाँ विशेष भीड़ रहती है।
  • यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है।

मतंगेश्वर मंदिर कहाँ है (Where is Matangeshwar temple)

मतंगेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के खजुराहो नगर में स्थित है। यह मंदिर खजुराहो के पश्चिमी मंदिर समूह (Western Group of Temples) के निकट है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) का हिस्सा है।

दूरी के हिसाब से:

  • जबलपुर से लगभग 175 किमी
  • सतना से करीब 120 किमी
  • खजुराहो एयरपोर्ट से मात्र 5 किमी

मतंगेश्वर मंदिर का गूगल मैप लोकेशन

मतंगेश्वर मंदिर कैसे पहुँचें (How to reach Matangeshwar temple)

  • हवाई मार्ग: खजुराहो एयरपोर्ट दिल्ली, भोपाल और वाराणसी से जुड़ा है।
  • रेल मार्ग: खजुराहो रेलवे स्टेशन और सतना निकटतम स्टेशन हैं।
  • सड़क मार्ग: खजुराहो सड़क मार्ग से जबलपुर, बांदा और झांसी से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

मतंगेश्वर मंदिर यात्रा के सुझाव

  • सुबह या शाम के समय दर्शन करना अधिक उपयुक्त होता है।
  • शिवरात्रि के अवसर पर पहले से होटल बुकिंग कर लें।
  • श्रद्धालु यहाँ जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
  • कैमरा साथ लाएँ, लेकिन गर्भगृह के अंदर फोटोग्राफी वर्जित है।

निष्कर्ष

मतंगेश्वर मंदिर, खजुराहो केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का जीवंत उदाहरण है। यह मंदिर अपनी सरल वास्तुकला, विशाल शिवलिंग और सक्रिय पूजा-पाठ की परंपरा के कारण खजुराहो समूह में विशेष स्थान रखता है।

यदि आप खजुराहो की यात्रा पर जाते हैं, तो मतंगेश्वर मंदिर दर्शन अवश्य करें। यहाँ आपको न केवल आध्यात्मिक शांति मिलेगी, बल्कि भारतीय परंपरा और संस्कृति का गहन अनुभव भी होगा।

खजुराहो के अन्य प्रसिद्ध स्थल :- रानेह जलप्रपात
भीमकुंड
केन घड़ियाल वन्य जीव अभ्यारण
लक्ष्मण मंदिर खजुराहो

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top