उदयगिरि गुफाएँ, विदिशा – इतिहास, महत्व और यात्रा गाइड
उदयगिरि की गुफाएं मध्य प्रदेश की सबसे प्राचीन स्थान में से एक है। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित उदयगिरि गुफाएँ भारतीय इतिहास, कला और संस्कृति का अनमोल खजाना हैं। यहाँ की शिल्पकला, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
उदयगिरि का अर्थ है – “उदय का पर्वत” यानी वह स्थान जहाँ सूर्योदय होता है। इन गुफाओं का निर्माण चौथी–पाँचवीं शताब्दी ईस्वी में गुप्त वंश के शासनकाल में हुआ था। आज यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है और पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। उदयगिरि की गुफा (Udayagiri Caves) में बहुत सारे स्थल है, जो बहुत खूबसूरत है और देखने लायक है। अगर आप विदिशा की यात्रा कर रहे हैं, तो आपको इन गुफा में जाकर, इनके इतिहास को जरूर जानना चाहिए।
उदयगिरि की गुफाओं की प्राकृतिक सुंदरता (The Natural Beauty of the Udayagiri Caves)
उदयगिरि की गुफाएं (Udayagiri Caves) विदिशा शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर हलाली नदी के किनारे स्थित है। इन गुफाओं तक आप आसानी से सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। यह गुफाएं में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां पर चारों तरफ प्राकृतिक नजारे देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर एक बहुत बड़ी पहाड़ी है, जिनमें यह गुफाएं फैली हुई है। आपको यहां पर घूमने में 1 से 2 घंटे का समय लग सकता है।
यहां पर एक ऊंची पहाड़ी है, जहां पर ढेर सारी गुफाएं देखने के लिए मिलती है। यहां पर प्राकृतिक सौंदर्य और जंगल का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। पहाड़ी के पास से ही हलाली नदी बहती है, जिसका दृश्य देखने लायक रहता है। यहां पर बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर 20 गुफाएं बनाई है, जिनमें से कुछ गुफाएं बहुत बड़ी है और कुछ गुफाएं छोटी हैं। इन गुफाओं का अपना विशेष महत्व है। इनमें से यह गुफाएं हिंदू और जैन देवी देवताओं को समर्पित की गई है। इनमें से 18 गुफाएं हिंदू धर्म से संबंधित है और दो गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित है।
उदयगिरि की गुफाएं (Udayagiri Caves) तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच बनाई गई है। यहां पर बहुत ही सुंदर कलात्मक हिन्दू देवी देवताओं की प्रतिमाएं देखने के लिए मिलती हैं, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। यह जगह प्राकृतिक प्रेमी और इतिहास प्रेमियों के घूमने के लिए एक सुंदर स्थान है। यहां पर आकर आप इतिहास के बारे में बहुत सारी जानकारी मिलेगी। आप यहां पर आकर ढेर सारी गतिविधियां कर सकते हैं।
आप यहां पर ट्रैकिंग करके, पहाड़ियों में जा सकते हैं। पहाड़ी से दूर-दूर तक का सुंदर नजारा देख सकते हैं। यहां पर जंगली जानवर देखने के लिए मिल जाते हैं। यहां पर सूर्योदय और सूर्यास्त का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। बरसात के समय यह जगह बहुत ही आकर्षक हो जाती है। यहां पर आप अपने फैमिली और दोस्तों के साथ आ सकते हैं। इस जगह को घूमने में 1 से 2 घंटे का समय लग सकता है, क्योंकि यहां पर पहाड़ी पर ट्रैकिंग करके जाना पड़ेगा और गुफाएं थोड़ी-थोड़ी पर स्थित है, जिससे आपको गुफाओं में पहुंचने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है।
उदयगिरि गुफाओं की यात्रा (Udayagiri Caves Tour)
उदयगिरि की गुफाओं (Udayagiri Caves) की यात्रा करने के लिए सबसे पहले विदिशा शहर आना पड़ेगा। विदिशा शहर से उदयगिरी की गुफाएं 5 से 6 किलोमीटर दूर है। उदयगिरि की गुफा में पहुंचने के लिए पक्का रास्ता बना हुआ है। विदिशा शहर में रेलवे स्टेशन बना हुआ है। अगर आप देश के किसी अन्य शहर से आ रहे हैं, तो आप रेलवे स्टेशन आ सकते हैं और उसके बाद ऑटो बुक करके उदयगिरि की गुफाएं पहुंच सकते हैं।
उदयगिरि गुफाओं (Udayagiri Caves) की तरफ आने का रास्ता भी बहुत खूबसूरत है। आपको अशोकनगर विदिशा हाईवे मार्ग से आना रहता है और बेतवा नदी पर बने हुए पल को पार करने के बाद, उदयगिरि गुफाओं की तरफ आपके आने लिए रास्ता दिखाई देता है। आप उस रास्ते को फॉलो करते हुए उदयगिरि गुफाओं पहुंच सकते हैं। उदयगिरि के रास्ते के दोनों तरफ सुंदर खेत देखने के लिए मिलते हैं।
उदयगिरि की गुफाओं (Udayagiri Caves) के पास पहुंचने पर, उदयगिरि की पहाड़ी देखने के लिए मिलती है। यह पहाड़ी बहुत सुंदर और आकर्षक है। यहां पर पहाड़ी के पास में एक छोटा सा म्यूज़ियम बना हुआ है, जहां पर टिकट घर भी बना हुआ है। यहां पर पार्किंग का स्पेस भी दिया गया है। आपके यहां से टिकट लेना पड़ता है। उसके बाद आप उदयगिरि की गुफा में प्रवेश कर सकते हैं। यहां पर अगर आप अपनी गाड़ी से आ रहे हैं, तो अपनी गाड़ी को पार्क कर सकते हैं। यहां पर वॉशरूम की सुविधा भी उपलब्ध है।
उदयगिरि की पहाड़ी (Udayagiri Caves) में ढेर सारी गुफाएं बनी हुई है। हर गुफा की अपनी अलग खासियत है। उदयगिरि की गुफा (Udayagiri Caves) नंबर 7 बहुत सुंदर है। इस गुफा को तवा गुफा के नाम से जाना जाता है। इस गुफा का ऊपरी भाग एक बड़ी गोलाकार सपाट तल वाली शिला है, जो देखने में तवे की तरह लगती है। इसलिए इस गुफा को तवा गुफा कहते है। यह गुफा बहुत ही आकर्षक लगती है और पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है।
यहीं पर चंद्रगुप्त द्वितीय के मंत्री वीरसेन द्वारा उत्कीर्ण गुप्तकालीन ब्राह्मी लिपि में अभिलेख है, जिसके अनुसार दुनिया को जीतने के लिए सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय निकले थे। यह अभिलेख एकमात्र लिखित साक्ष्य है, जिसमें सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय की विजय यात्रा का वर्णन मिलता है।
उदयगिरि की पहाड़ियों में गुफा न. १२ देखने मिलती है। यह गुफा आले की तरह दिखाई देती है। इस गुफा के दोनों तरफ मुख्य देवता के नीचे की ओर द्वारपाल खड़े हैं। यह गुफा भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को समर्पित की गई है। इस गुफा में विराजमान नरसिंह भगवान के प्रतिमा को सबसे प्राचीन माना गया है। गुफा के पास शंख लिपि में लिखा हुआ एक अभिलेख प्राप्त हुआ है, जिसको अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। कुछ विद्वानों का मानना है, कि यह अभिलेख गुप्त काल से भी पुराना है।
उदयगिरि की गुफाओं (Udayagiri Caves) की गुफा नंबर चार को वीणा गुफा के नाम से जाना जाता है। इस गुफा के दरवाजे की ऊपरी भाग में बने पांच छोटे गोलाकार पट्टिकाओं में से एक बाई पाट्टिका में एक मानव आकृति को वीणा बजाते हुए, जबकि दाएं तरफ वाली पट्टिका में एक मानव आकृति को सारंगी बजाते हुए दिखाया गया है। इस गुफा के गर्भगृह में भगवान शिव का एक मुखी शिवलिंग विराजमान है। यहां पर शिवलिंग चकोर पाठ पीठ पर स्थापित है, शिव के चेहरे पर अद्भुत सौंदर्य का भाव है। उनके गले में हार और जटाए गर्दन के दोनों और फैली हुई है।
उदयगिरि की सबसे प्रसिद्ध गुफा गुफा नंबर पांच है। गुफा नंबर 5 के बाहर पौराणिक कथा से संबंधित दृश्य को दिखाया गया है। इस दृश्य को बहुत ही सुंदर तरीके से दिखाया गया है। यहां पर भगवान विष्णु के वराह अवतार को बताया गया है, जिसमें दानव हिरण कश्यप भूदेवी या पृथ्वी माता को गहरे पानी में लेकर चला जाता है। तब भगवान विष्णु ने वराह रूप में अवतार लिया और दानव हिरण कश्यप का वध करके भूदेवी की रक्षा कर, उन्हें अपने दांत से उठाकर, ब्रह्मांड में उनकी जगह पर स्थापित किया।
यह दृश्य बहुत सुंदर है और यह उदयगिरि का सबसे प्रसिद्ध स्थल है। इसमें भगवान विष्णु का शरीर मानव रूपी है और उनका शरीर वराह का है। यहां पर बहुत सारे देवी देवता की मुर्तिया भी बनी है, जो भगवान विष्णु पर फूलों की बरसात कर रहे हैं। उदयगिरि की गुफा में गुफा नंबर 6 को सनकणिका गुफा के नाम से जाना जाता है। इस गुफा में भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है, जो योनिपीठ पर स्थापित है। गुफा के पास में महिषासुर मर्दिनी का मूर्ति भी देखि जा सकती है। इस गुफा के पास में एक छोटी गुफा में मातृकाओ की खंडित प्रतिमाएं हैं, जिनके साथ वीरभद्र या शिव का अंकन है।
उदयगिरि में गुफा नंबर 13 बहुत आकर्षक है। यहां पर एक बड़े से पत्थर को काटकर भगवान विष्णु की प्रतिमा को बनाया गया है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेष शैय्या में विराजमान है। भगवान विष्णु जी के शेषनाग के ऊपर लेते हुए दर्शाया गया है। उनके वाहन गरुड़ को भी यहां पर पक्षी रूप में दिखाया गया है। यह भगवान विष्णु की सबसे प्राचीन प्रतिमाओं में से एक है। यह प्रतिमा बहुत ही आकर्षक लगती है। इसके ऊपर शेड भी लगाया गया है। यहां पर शंख लिपि में एक अभिलेख लिखा हुआ है, जिसे आप देख सकते हैं।
यहां पर पहाड़ी पर और भी बहुत सुंदर प्राचीन प्रतिमाएं बनी हुई है, जिन्हें आप देख सकते हैं। यहां पर पहाड़ी में जाने का रास्ता है, जहां से आप ट्रैकिंग करके पहाड़ी के ऊपर पहुंच सकते हैं। यहां पर चारों तरफ प्रकृतिक दृश्य देखने के लिए मिलता है। पहाड़ी के ऊपर जाने पर, खूबसूरत जंगल का दृश्य देखा जा सकता है और ढेर सारे पशु पक्षी देखे जा सकते हैं। यहां पर मोर देखने के लिए मिल जाते हैं, क्योंकि यहां पर जंगल एरिया है। इसलिए बहुत सारे मोर यहां पर घूमते हुए रहते हैं।
उदयगिरि की पहाड़ी के ऊपर एक प्राचीन मंदिर के अवशेष देखने के लिए मिलते हैं। पहाड़ी की सबसे ऊंची चोटी पर गुप्तकालीन मंदिर के अवशेष देखने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर भगवान शिव का हुआ करता होगा। आगे जाने पर एक रेस्ट हाउस देखने के लिए मिलता है। यह रेस्ट हाउस में वर्तमान समय में ताला लगा हुआ है। यह रेस्ट हाउस अंग्रेजों के समय बनाया गया है।
उदयगिरि की पहाड़ी के पूर्वी भाग में गुफा नंबर 20 देखने के लिए मिलती है। गुफा नंबर 20 का तीर्थकर पार्श्वनाथ जी को समर्पित है। इस गुफा के भीतरी भाग के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ पद्मासन मुद्रा में बैठे हुए कुल चार तीर्थंकरों की प्रतिमाएं उकेरकर बनाई गई है, जिनके नीचे चक्र दर्शशाया गया है और गुफाओं की दीवारों में शेर, हाथी, मानव, गधे आदि की आकृतियां बनी है।
गुफा नंबर 20 उदयगिरि की सबसे बड़ी गुफा पत्थर की खोह में बनाई गई है। यहां पर एक व्यू प्वाइंट भी है, जहां से आप हलाली नदी का सुंदर दृश्य देख सकते हैं। यहां पर हलाली नदी और आसपास का बहुत ही जबरदस्त दृश्य देखने के लिए मिलता है। यहां पर चट्टानों में एक घड़ी नुमा यंत्र बना है, जिसे शंकु यंत्र कहते हैं। प्राचीन समय में यहां के, जो भी ठेकेदार रहते होंगे। वह इन्हें अपने मजदूरों को छुट्टी देने के लिए बनाए होंगे। उदयगिरि की पहाड़ी को घूमने के बाद, नीचे आने पर गुफा नंबर 19 देखने के लिए मिलती है।
उदयगिरि के गुफा (Udayagiri Caves) नंबर 19 को अमृत गुफा के नाम से जाना जाता है, क्युकी गुफा के द्वार के ऊपरी भाग में अमृत मंथन या समुद्र मंथन के विख्यात कहानी का चित्रण मिलता है, जिसमें मेरु पर्वत को कछुए की पीठ के मध्य भाग में खड़ा करके वासुकी नामक सर्प को रस्सी बनाकर देव और दानवों द्वारा समुद्र मंथन करते हुए दिखाया गया है। इस गुफा के द्वार के ऊपरी भाग में ही एक तरफ मकर वाहिनी गंगा और दूसरी तरफ कुर्मवाहनी यमुना को दिखाया गया है। इस गुफा से 11वीं शताब्दी का अभिलेख भी मिला है, जिस की भाषा संस्कृत तथा लिपि नागरी है।
उदयगिरि पहाड़ी में और भी बहुत सारी गुफाएं हैं, जो आप घूम सकते हैं और इस जगह का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखने के बाद, आप यहां के संग्रहालय में जाकर घूम सकते हैं, जहां पर आपको ढेर सारी जानकारी मिलती है।
उदयगिरि गुफाओं का इतिहास (History of Udayagiri Caves)
- उदयगिरि गुफाओं (Udayagiri Caves) का निर्माण गुप्त वंश के समय (चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य, लगभग 375–415 ई.) में कराया गया।
- यहाँ कुल 20 गुफाएँ हैं, जिनमें 18 हिंदू धर्म और 2 जैन धर्म से संबंधित हैं।
- गुफाओं में मिले शिलालेखों से पता चलता है कि यहाँ धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना होती थी।
- गुप्तकालीन कला की श्रेष्ठता यहाँ के मूर्तिकला कार्यों में स्पष्ट झलकती है।
उदयगिरि गुफा स्थापत्य और शिल्पकला (Udayagiri Caves Architecture and Sculpture)
उदयगिरि गुफाएँ (Udayagiri Caves) चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। प्रत्येक गुफा में भगवान विष्णु, शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ अंकित हैं।
मुख्य आकर्षण:
गुफा संख्या 5 – वराह अवतार
- भगवान विष्णु के वराह अवतार की विश्व प्रसिद्ध प्रतिमा यहीं स्थित है।
- इसमें वराह (सूअर) रूपी विष्णु समुद्र में डूबी पृथ्वी को उठाते हुए दर्शाए गए हैं।
- यह मूर्ति 4 मीटर ऊँची और अत्यंत जीवंत है।
गुफा संख्या 4 – कार्तिकेय की प्रतिमा
- यहाँ भगवान कार्तिकेय को मोर पर सवार दिखाया गया है।
- यह मूर्ति भारतीय शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है।
गुफा संख्या 6 – विष्णु और नृसिंह अवतार
- इस गुफा में भगवान विष्णु और उनके नृसिंह अवतार की मूर्तियाँ अंकित हैं।
गुफा संख्या 13 – शिवलिंग और द्वारपाल
- यहाँ शिवलिंग स्थापित है और गुफा के द्वार पर सुंदर द्वारपाल की मूर्तियाँ हैं।
गुफा संख्या 19 और 20 – जैन गुफाएँ
- इन गुफाओं में जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ बनाई गई हैं।
- यह स्थान जैन धर्मावलंबियों के लिए भी पवित्र है।
गुप्त काल के बारे में जानकारी (Gupta period Information)
उदयगिरि की गुफाएं (Udayagiri Caves) गुप्त शासक के समय बनाई गई थी। भारत के राजनैतिक मानचित्र में गुप्त साम्राज्य चौथी शताब्दी ईस्वी में एक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया था। श्री गुप्त नामक एक छोटे शासक ने मगध में गुप्त साम्राज्य की नींव रखी , जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी। प्रयाग प्रशस्ति में वर्णन मिलता है, कि इस समय समुद्रगुप्त ने पूर्वी मालवा के नाग शासकों को परास्त किया था।
तत्पश्चात इस क्षेत्र पर राम गुप्त नामक गुप्त शासक ने शासन किया। जिसका पता मुद्राओं तथा जैन तीर्थ कर प्रतिमाओं पर मिले अभिलेखों से चलता है। गुप्त वंश के अगले शासक चंद्रगुप्त द्वितीय ने पश्चिम के शासकों के विरुद्ध सैन्य अभियान चलाया। अपने इस अभियान के दौरान चंद्रगुप्त द्वितीय ने सामंतो एवं मंत्रियों के साथ लंबे समय तक पूर्वी मालवा में रुका था। चौथी एवं पांचवी शताब्दी में यह क्षेत्र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक परिदृश्य में भारी बदलाव का साक्षी रहा है।
उदयगिरि का अर्थ (Meaning of Udayagiri)
उदयगिरि का अर्थ – उदयगिरि का अर्थ होता है उगता हुआ सूर्य। उदयगिरि पर्वत को उगते सूर्य वाले पर्वत की संज्ञा दी गई है।
उदयगिरि एवं सांची का भू विज्ञान (Geology of Udayagiri and Sanchi)
उदयगिरि और सांची का भू विज्ञान बहुत ही रोचक है, जिसे जानकर आपको बहुत ही आश्चर्य होगा। चलिए जानते हैं – उदयगिरि के भूविज्ञान के बारे में
10,000 लाख वर्ष पूर्व यहां पर नदी या समुद्र था। हवा व पानी से यह पर मिट्टी समुद्र तल में जम गई तथा ठोस होने लगी। 5000 लाख वर्ष पूर्ण समुद्र तल की भूमि ऊपर उठ गई एवं विंध्याचल पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ। इन्हीं के साथ उदयगिरी की पहाड़ी एवं क्षेत्रों के अन्य पहाड़ों का भी निर्माण हुआ। अभी भी आपको यहां पर समुद्र की लहरों का दृश्य देखने के लिए मिल जाएगा। यहां पर चट्टानों में समुद्र होने के निशान आज भी मौजूद है। उदयगिरि के पहाड़ 5000 लाख वर्ष पूर्व पुराने हैं और डायनासोर 1800 लाख पुराने है।
उदयगिरि गुफाएं की फोटो (Udayagiri Caves photo)




उदयगिरि गुफाओं का धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य (The Religious Significance and Natural Beauty of the Udayagiri Caves)
- उदयगिरि गुफाएँ (Udayagiri Caves) हिंदू और जैन दोनों धर्मों के लिए पवित्र स्थल मानी जाती हैं।
- यहाँ की वराह प्रतिमा धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विष्णु के दस अवतारों में से एक है और वराह भगवान जी की प्रतिमा यहां पर पौराणिक कथा को दर्शाती है।
- शिवलिंग और जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ यहाँ की आध्यात्मिकता को और भी गहरा करती हैं।
- उदयगिरि की गुफाओं (Udayagiri Caves) में विष्णु भगवान जी की शेष शैय्या में लेटी हुई प्रतिमा आकर्षण का मुख्य कारण है।
- उदयगिरि की गुफाएँ (Udayagiri Caves) एक छोटी पहाड़ी पर स्थित हैं, जहाँ से चारों ओर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
- सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यहाँ का दृश्य मनमोहक होता है।
- हरियाली और शांत वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है।
- यहां से चारों तरफ को मनोरम दृश्य देखने के लिए मिलता है।
- बरसात के समय यह जगह हरियाली से घिर जाती है।
उदयगिरि की गुफा कहां पर स्थित है (Where is Udayagiri Cave located)
उदयगिरि की गुफाएं मध्य प्रदेश (Udayagiri Caves, Madhya Pradesh) राज्य का ऐतिहासिक स्थल है। उदयगिरि की गुफाएं मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित है। यह विदिशा जिले से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उदयगिरि की गुफाएं में आप कार से और बाइक से आराम से जा सकते हैं। इन गुफाओं तक जाने के लिए अच्छी सड़क है। यहां पर पार्किंग की व्यवस्था भी अच्छी है। आप यहां पर अपनी कार और बाइक से जा सकते हैं।
उदयगिरि गुफाएं का गूगल मैप लोकेशन
उदयगिरि गुफाएँ कैसे पहुँचें? (How to Reach Udayagiri Caves)
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा भोपाल (60 किमी) है। आप भोपाल में हवाई मार्ग से अन्य शहर से आ सकते हैं और उसके बाद सड़क मार्ग के द्वारा आराम से विदिशा पहुंचकर, उदयगिरि की गुफा (Udayagiri Caves) में भ्रमण के लिए जा सकते हैं।
- रेल मार्ग: विदिशा रेलवे स्टेशन नजदीकी प्रमुख स्टेशन है (लगभग 6 किमी दूर)। विदिशा आने के लिए अन्य प्रमुख शहरों से डायरेक्ट ट्रेन चलती है। आप यहां पर आराम से रेल मार्ग के द्वारा आ सकते हैं और उसके बाद, उदयगिरि की गुफाओं (Udayagiri Caves) में सड़क मार्ग के द्वारा पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: विदिशा शहर से उदयगिरि गुफाएँ मात्र 6–7 किमी दूर हैं। टैक्सी, ऑटो या निजी वाहन से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
उदयगिरि गुफाएं का खुलने का समय और एंट्री फी (Udayagiri Caves opening hours and entry fee)
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खुलने का समय: सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
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प्रवेश शुल्क:
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भारतीय पर्यटक: ₹25
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विदेशी पर्यटक: ₹300
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बच्चों (15 वर्ष तक): निःशुल्क
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उदयगिरि गुफाएँ घूमने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit)
उदयगिरि की गुफा (Udayagiri Caves) में घूमने का सबसे अच्छा समय बरसात और ठंड का रहता है। बरसात और ठंड के समय उदयगिरि की गुफाएं बहुत ही खूबसूरत लगती है। यहां पर इस समय चारों तरफ हरियाली देखने के लिए मिलती है। आप इस समय जाकर उदयगिरि की गुफा में ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं। यहां पर इस समय आकर काफी एंजॉय किया जा सकता है। इस समय मौसम बहुत ही बढ़िया रहता है।
उदयगिरि की गुफाओं (Udayagiri Caves) में आप अक्टूबर से मार्च में और जुलाई से सितंबर के समय घूमने के लिए आ सकते हैं। आप यहां पर गर्मी के समय भी घूमने के लिए आ सकते हैं।
उदयगिरि गुफाओं के आसपास घूमने लायक जगहें
- सांची स्तूप (10 किमी दूर) – विश्व धरोहर स्थल, बौद्ध कला का अद्भुत उदाहरण।
- विदिशा शहर – हेलिओडोरस स्तंभ, बीजा मंडल, लोहांगी पीर।
- भोपाल (60 किमी दूर) – झीलों का शहर और मध्य प्रदेश की राजधानी।
यात्रा सुझाव (Travel Tips)
- गुफाओं को देखने में लगभग 2–3 घंटे का समय लगता है।
- यहाँ गर्मी में पानी और छतरी साथ रखें।
- फोटोग्राफी की अनुमति है, लेकिन मूर्तियों को छूना मना है।
- बेहतर अनुभव के लिए स्थानीय गाइड साथ लें।
निष्कर्ष
उदयगिरि गुफाएं विदिशा (Udayagiri Caves Vidisha) न केवल गुप्तकाल की कला और स्थापत्य का अद्भुत नमूना हैं, बल्कि यह स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ भगवान विष्णु के वराह अवतार की मूर्ति, जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ और शिवलिंग भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं। यदि आप मध्य प्रदेश की यात्रा कर रहे हैं तो उदयगिरि गुफाएँ (Udayagiri Caves) आपकी यात्रा सूची में अवश्य होनी चाहिए।
FAQ – उदयगिरि गुफाएँ (Udayagiri Caves Vidisha)
1. उदयगिरि गुफाएँ कहाँ स्थित हैं?
उदयगिरि गुफाएँ मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में स्थित हैं। ये गुफाएँ बेसनगर गाँव के पास एक पहाड़ी पर बनी हुई हैं।
2. उदयगिरि की गुफाएँ किस जिले में हैं?
उदयगिरि की गुफाएँ विदिशा जिला, मध्यप्रदेश में आती हैं।
3. उदयगिरि पहाड़ी कहाँ स्थित है?
उदयगिरि पहाड़ी विदिशा शहर से लगभग 4 किलोमीटर दूर और सांची से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र बेसनगर कहलाता है।
4. उदयगिरि की गुफाएँ किस धर्म से संबंधित हैं?
उदयगिरि की अधिकांश गुफाएँ हिंदू धर्म से संबंधित हैं, जिनमें भगवान विष्णु, शिव, पार्वती आदि की मूर्तियाँ हैं। कुछ गुफाएँ जैन धर्म से भी जुड़ी हुई हैं।
5. उदयगिरि गुफाएँ किसने बनवाई थीं?
इन गुफाओं का निर्माण गुप्तकाल में, चौथी शताब्दी ईस्वी के दौरान सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के शासनकाल में कराया गया था।
6. उदयगिरि गुफाओं की सबसे प्रसिद्ध मूर्ति कौन सी है?
यहाँ भगवान विष्णु के वराह अवतार की विशाल मूर्ति सबसे प्रसिद्ध है, जिसमें वे पृथ्वी को समुद्र से बाहर निकालते हुए दर्शाए गए हैं।
7. उदयगिरि गुफाओं की कुल संख्या कितनी है?
यहाँ कुल 20 गुफाएँ हैं — जिनमें 18 हिंदू और 2 जैन धर्म से संबंधित हैं।
8. उदयगिरि गुफाओं का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
ये गुफाएँ गुप्तकालीन कला, स्थापत्य और धार्मिक इतिहास का अद्भुत उदाहरण हैं। यहाँ की मूर्तियाँ भारत की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करती हैं।
9. उदयगिरि गुफाओं में घूमने का सबसे अच्छा समय कब है?
यहाँ घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है, जब मौसम ठंडा और सुखद रहता है।
10. उदयगिरि गुफाएँ कैसे पहुँचे?
भोपाल या विदिशा रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी या बस के जरिए आसानी से उदयगिरि गुफाओं तक पहुँच सकते हैं। भोपाल से दूरी लगभग 60 किलोमीटर है।
11. उदयगिरि गुफाओं का प्रवेश शुल्क कितना है?
भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क लगभग ₹25 और विदेशी पर्यटकों के लिए लगभग ₹300 है (ASI के अनुसार)।
12. उदयगिरि गुफाओं के पास घूमने की अन्य जगहें कौन-सी हैं?
उदयगिरि गुफाओं के पास में सांची स्तूप, विदिशा संग्रहालय, बीजा मंडल, और हेलियोडोरस स्तंभ जैसे प्रसिद्ध स्थल भी देखे जा सकते हैं।
13. उदयगिरि नाम का क्या अर्थ है?
‘उदयगिरि’ का अर्थ है “सूर्योदय का पर्वत”, क्योंकि यहाँ से सूर्योदय का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
